Book Title: Ratanchand Jain Mukhtar Vyaktitva aur Krutitva Part 1
Author(s): Jawaharlal Shastri, Chetanprakash Patni
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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व्यक्तित्व और कृतित्व ]
तीर्थंकर प्रतिमाओं के चिह्न कैसे नियत होते हैं ?
शंका- तीर्थंकर प्रतिमाओं के चिह्न कैसे नियत होते हैं ?
समाधान-य
-यही प्रश्न श्री पं० भूधरदासजी के सामने उपस्थित हुआ था । उन्होंने निम्न गाथा के आधार पर यह समाधान किया था कि — तीर्थंकर के दाहिने पाँव में जो चिह्न जन्म सम होइ, सोई प्रतिमा के आसन विषै जानना | गाथा इस प्रकार है
जम्मणकाले जस्स दु दाहिण पायम्मि होइ तं लक्खण पाउस आगमसुत्तेसु
जो चिन्हं । जिणदेहं ॥
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किसी भी तीर्थंकर की श्रायु पूर्व कोटि नहीं हुई
शंका-कोटि पूर्व की आयु तीर्थंकरों के होती है या चौथे काल में अन्य मनुष्यों के भी होती है ?
समाधान — इस हुंडावसर्पिणी काल में किसी भी तीर्थंकर की आयु एक कोटि पूर्व की नहीं हुई । श्री
एक कोटि पूर्व की होती है । यह
आदिनाथ तीर्थंकर की आयु ८४ लाख पूर्व की थी । चतुर्थकाल में उत्कृष्ट आयु प्रायु किसी भी मनुष्य की हो सकती है। तीर्थंकर का कोई नियम नहीं है ।
नाभिराय और मरुदेवी जुगलिया नहीं थे
शंका-नाभिराय और मरुदेवी युगलिया उत्पन्न हुए थे या अलग-अलग ?
[
एकमेवासृजत्पुत्र प्रसेनजितमत्र सः 1 युग्मसृष्टे रिवोर्ध्व - मितो व्यपनिनीषया ॥१६६॥
८७
- जै. ग. 10-2-72 / VII / क. च.
समाधान- नाभिराय और मरुदेवी युगलिया नहीं उत्पन्न हुए थे । प्रसेनजित नामक तेरहवाँ कुलकर अकेला ही उत्पन्न हुआ था । नाभिराय तो १४ वें कुलकर थे । वे युगलिया कैसे उत्पन्न हो सकते थे । कहा भी है
- जै. ग. 27-7-69 / VI / सु. प्र.
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- हरिवंशपुराण सर्ग -७
अर्थ ——पहले यहाँ युगल संतान उत्पन्न होती थी, परन्तु इसके आगे युगल संतान की उत्पत्ति को दूर करने की इच्छा से 'मानो मरुदेव ने प्रसेनजित नामक अकेले पुत्र को उत्पन्न किया था, जो तेरहवाँ कुलकर था ।
- जैग 24-7-67/ VII / ज. प्र. म. कु.
* बात यह है कि अगला अगला कुलकर अपने-अपने से पूर्व-पूर्व के कुलकर का पुल होता है । प्रसेनजित तेरहयें कुलकर 'थे। मरुदेव बारहवें कुलकर थे। राजा मरुदेव के राज्य से पहले पुत्र-पुत्री का जोड़ा पैदा होता था, परन्तु इसके जोड़ा न पैदा होकर तेरहवाँ कुलकर एक ही प्रसेनजित नामका पुत्र उत्पन्न हुआ सो उससे यह जाना जाता है कि अबसे युगलिया पैदा न होकर एक ही पुत्र या पुत्री उत्पन्न हुआ करेंगे। राजा मरुदेव ने पुत्र प्रसेनजित का किसी उत्तम कुल की कन्या के साथ विवाह कर दिया। राजा प्रसेनजित के पुल चाँदहवें कुलकर नाभिराजा ( अकेले ) पैदा हुए।
-सम्पादक
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