Book Title: Ratanchand Jain Mukhtar Vyaktitva aur Krutitva Part 1
Author(s): Jawaharlal Shastri, Chetanprakash Patni
Publisher: Shivsagar Digambar Jain Granthamala Rajasthan
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व्यक्तित्व और कृतित्व ]
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अनेक प्रकार के होते हैं । गृहस्थों को घर के कितने ही व्यापार करने पड़ते हैं । जब वह गृहस्थ अपने नेत्र बन्द करके ध्यान करने बैठता है तब उसके सामने घर के करने योग्य सब व्यापार आ जाते हैं। निरालम्ब ध्यान करने वाले गृहस्थ का चित कभी स्थिर नहीं रहता। कहा है
जो भणइ को वि एवं अस्थि गिहत्थाणणिच्चलं झाणं ।
सुद्धच णिरालंबण मुणइसो आयमो जइणो ॥ ३८२॥ भावसंग्रह यदि कोई पुरुष यह कहे कि गृहस्थों के भी निश्चल, निरालम्ब और शुद्ध ध्यान होता है तो समझना चाहिए कि इस प्रकार कहने वाला पुरुष मुनियों के शास्त्रों को नहीं मानता।
गृहस्थ को मन स्थिर करने के लिये पंचपरमेष्ठियों के वाचक शब्दों का तथा पंच परमेष्ठियों के स्वरूप का आलम्बन लेना चाहिये। कहा भी है
पणतीस सोलछप्पणच उदुगमेगं च जवहज्झाएह ।
परमेट्ठिवाचयाणं अण्णं च गुरुवएसेण ॥ ४९ ॥ वृ. द्र. सं. ।। पंचपरमेष्ठियों के कहने वाले जो पैंतीस, सोलह, छह, पाँच, चार, दो और एक अक्षररूप मंत्रपद हैं, उनका जाप्य करो और ध्यान करो। इनके सिवाय अन्य जो मंत्रपद हैं उन्हें भी गुरु के उपदेश नुसार जपो और ध्यावो। सामायिक के समय 'अरिहन्त प्रादि पदों का उच्चारण करते समय अरिहन्त आदि के स्वरूप का चिन्तवन करना चाहिए। जो अरिहन्त का स्वरूप है सो ही मेरा स्वरूप है । इस मोर भी लक्ष्य रखना चाहिए।
-गै. सं. 10-10-57/.../भा. ध जन, तारादेवी
पंचम प्रतिमा शंका-पंचम प्रतिमाधारी कच्चे पानी से स्नान कर सकता है या नहीं ?
समाधान-रत्नकरण्डधावकाचार श्लोक १४१ तथा स्वामिकातिकेयानुप्रेक्षा गाथा ३७९-३८१ में पंचम प्रतिमावाले को सचित्त भक्षण का निषेध किया है, स्नान का निषेध नहीं किया है। फिर भी व्रतों की वृद्धि के लिए पंचम प्रतिमाघारी को प्रचित्त जल से स्नान करना उचित है।
-. ग. 11-1-62/VIII/ ..............
फलों का अचित्तीकरण शंका-सिजाये बिना क्या मात्र गर्म कर देने से फल आदि अचित्त हो जाते हैं ?
समाधान-फल प्रादि को अचित्त करने के लिये सिजाने की कोई आवश्यकता नहीं है । गर्म कर देने से भी अचित्त हो जाते हैं। पांचवीं प्रतिमा सचित्त त्याग प्रतिमा है। अतः चौथी प्रतिमा से उपरांत फल आदि सचित्त नहीं ग्रहण करने चाहिए । इन्द्रिय विजय के लिये सचित्त त्याग अति आवश्यक है ।
-. ग. 3-10-63/IX/ मगनमाला छठी प्रतिमा का नाम रात्रिभोजन-त्याग या दिवामैथुन त्याग शंका-श्रावक को छठी प्रतिमा में रात्रि भोजन का त्याग बतलाया गया है और कहीं कहीं दिवस मथुन स्याग भी बतलाया है। रात्रि भोजन त्याग तथा दिवस मैथन त्याग का परस्पर क्या संबन्ध है ?
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