________________ (44) सेठियाजैमग्रन्थमाला छात्रादि प्राचरण-शिक्षा-मणिमाला. (2) 1 विद्यार्थियों को प्रातःकाल बहुत जल्दी उठना चाहिए,उठते ही पहले ईश्वर-प्रार्थना करके शौचादि क्रिया से निवृत्त होने के बाद पढ़ने में लग नाना चाहिए, क्योंकि प्रातःकाल पाठ याद करनेका अच्छ। समय है; इस समय थोड़े ही परिश्रम से जल्दी याद हो जाता है और कठिन से कठिन विषय भी जल्दी समझ में आ जाता है; इसलिए प्रातःकाल के समय को व्यर्थ नहीं खोना चाहिए / - 2 माता पिता, गुरुजन और अपने से बड़ों का विनयसन्मान करना, उनकी आज्ञा का पालन करना; और उनके सामने नीचे आसन पर बैठना चाहिए, जो छात्र विनयवान होता है, उस पर सब प्रसन्न रहते हैं, गुरु आदि की कृपा रहती है, वे सदा उस को सुखी और उन्नत बनाने का प्रयत्न करते रहते हैं / विनीत, विद्या तथा कलाकौशल में शीघ्र पारंगत होता है और सदा सुखी रहता है ; इसलिए हर एक विद्यार्थी का यह पवित्र वर्तव्य है कि अपने माता पिता शिक्षक तथा बड़े पुरुषों को प्रणाम, सेवा-शुश्रूषा मादि द्वारा विनय भक्ति करें / 3 कोई काम हो, विना सोचे विचारे शुरू नहीं करना चाहिए, शुरू करने के बाद अच्छे काम को पूरा किये विना