________________ (42) सेठियाजैनप्रन्थमाला इस से बन्द हो जाते हैं / (6) जरासी आफीम मिट्टी के ठीकरे पर भूनकर खाने से दस्त अत्यन्त शीघ्र बन्द हो जाते हैं। .. 104 खासी आदि की दवा-- (1) लवंग 8 माशे, पीपल 8 माशे, जायफल 8 माशे, काली मिर्च 8 माशे, सोंठ 8 पैसे भर और इन सब के बराबर मिश्री-- इन सब का चूर्ण कर नित्य 8 माशे की मात्रा जल के साथ ली जावे तो खांसी, ज्वर, प्रमेह, अरुचि, श्वास, मन्दाग्नि, संग्रहणी ये सब रोग दूर हो जाते हैं / इसे लवंगादि चूर्ण कहते हैं / (2.) कालीमिर्च 1 तोला, छोटी पीपल 1 तोला, जवाखार 1 तोला, अनार दाना 2 तोला, इन सब का चूर्ण करके आठ तोले साफ गुड़ में सान (मिला) कर चार चार माशे की गोलिया बना ली जावें / जब खासी चले, तब एक गोली मुँह में डालकर चूसनी चाहिए। इन के चूसने से सब तरह की खासी आराम होती है। 105 नेरुमा (बाला) की दवा-- 2 रु. भर कनगूगल में थोड़ा सा सिन्दूर और दो बताशे मिलाकर खूब कूटना चाहिए। पीछे उसे थोड़ा सा गर्म कर नेरुमा के जखम पर बांधना चाहिए, इस से बहुत जल्दी आराम हो जाता है। कड़वे नीम के पत्ते पीसकर या उबालकर बावने से तथा कुचले के बीज पानी में पीस. कर लगाने से नेरुआ रोग दूर हो जाता है /