________________ (40) सेठियाजैनग्रन्थमाला चासनी में मिलाकर चाटने से, राजरोग, श्वास खासी, पित्तज्वर, पसली का शूल, मंदाग्नि, अरुचि, हाथ पैरों की दाह दूर होती है / 101 कालाजीरी की चाय- कालाजीरी 1 रु० भर और अकरकरा चार आने भर इन दोनों को 1 सेर पानी में डालकर उबालना, जब पानी तीन पाव रह जावे तब उतारकर छान लेना, पीछे दूध मिश्री मिला देना, इस का स्वाद रंग रूप बिल्कुल चाय का सा होगा / इस में विशेषता यह है कि चाय पीने से उस का व्यमन हो जाता है और इस में यह दुर्गुण नहीं है। 1.2 हिचकी का इलाज (1) काले उड़द के चूर्ण को चिलग में रखकर पीने से हिचकी आराम होती है। लेकिन आग का अंगारा विना धुएँ वाला होना चाहिए / (2) आम के सूखे पत्ते चिलम में रखकर पीने से हिचकी आराम होती है। (3) पोदीने में शक्कर मिलाकर पीने से हिचकी आराम होती है। (4) हाथ पाँव बांब देने, श्वास रोकने, प्राणायाम करने, अकस्मात् डराने, या गुस्सा दिलाने अथवा खुशी की बात कह देने से अक्सर हिचकी माराम हो जाती है। 103 अतिसार (दस्त की बीमारी)- नाशक औषधिया-- (१)जायफल, छुहारेरा, और शुद्ध अफीम, इन तीनों को तीन तीन माशे लेकर खरल में डालकर,नागर बेल के पान का रस डालकर घोट ना चाहिए / जितना ही पानों का रस सुखाया जायगा, दवा उतनी