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पवयणसारो ]
णाप्यवधारितविशेषलक्षणा एकक्षण एवायबोधसोधस्थितिमवतरन्ति । न खल्वेतदयुक्तंवृष्टाविरोधात् । दृश्यते हि छद्मस्थस्यापि वर्तमानमिव व्यतीतमनागतं वा वस्तु चिन्तयतः संविदालम्बितस्तवाकारः । किच चित्रपटोस्थानीयत्वात् संविदः । यथा हि चित्रपटयामतिवाहितानामनुपस्थितानां वर्तमानानां च वस्तुनामा लेख्याकाराः साक्षारेकक्षण एवावभासन्ने, तथा संविद्धित्तावपि । किञ्च सर्वज्ञेयाकाराणां तात्विकत्याविरोधात् । यथा हि प्रध्वस्तानामनुदितानां च वस्तूनामा लेख्याकारा वर्तमाना एव तथातीतानामनागतानां च पर्यायाणां ज्ञेयाकारा, वर्तमाना एव भवन्ति ||३७||
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भूमिका – अब, अतीत (भूत) और अनागत ( भविष्यत्) द्रव्यपर्यायों की भी, तात्कालिक (वर्तमान) पर्यायों की भांति पृथक रूप से ज्ञान में वृत्ति को उद्योत करते हैं ( प्रगट करते हैं ) ( अतीत और अनागत पर्यायें ज्ञान में वर्तमान पर्यायों की तरह देखी जाती हैं- ऐसा निरूपण करते हैं ) .....
अन्वयार्थ --- [ तासां द्रव्यजातीनां ] उन प्रसिद्ध जीवादिक द्रव्य जातियों की [ते सर्वे ] वे समस्त [सदसद्भूताः पर्यायाः ] सभूत ( विद्यमान - वर्तमान) और असभूत ( अविद्यमान भूत, भविष्यत्) पर्यायें [ तात्कालिका इव] वर्तमान पर्यायों की भांति | विशेषतः ] विशेषता से ( अपने-अपने भिन्नस्वरूप सहित ) [ ज्ञाने] केवलज्ञान में [ वर्तन्ते ] वर्तती हैं प्रतिभासित होती हैं- स्फुरायमान होती हैं ।
टीका -- वास्तव में समस्त हो (ओवादिक) द्रव्य-जातियों की पर्यायों की उत्पत्ति की मर्यादा तीनों काल की मर्यादा जितनी होने से (वे तीनों कालों में उत्पन्न हुआ करती हैं इसलिये ) क्रम पूर्वक तपती हुई स्वरूप-सम्पदा वाली ( एक के बाद दूसरी प्रगट होने वाली), विद्यमानता और अविद्यमानता को प्राप्त जो जितनी पर्यायें हैं, वे सब, अत्यन्त मिश्रित होने पर भी विशेष लक्षण को धारण किये हुए एक समय में ही, वर्तमान कालीन पर्यायों की भांति, ज्ञान- मन्दिर में स्थिति को प्राप्त होती हैं ।
यह (तीनों काल की पर्यायों का वर्तमान पर्यायों की भांति ज्ञान में ज्ञात होना)
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अयुक्त (भी) नहीं है क्योंकि ( १ ) ( उसका ) दृष्ट के साथ ( जगत् में जो दिखाई देता हैअनुभव में आता है उसके साथ) अविरोध है । जगत् में) दिखाई देता है कि जैसे वर्तमान वस्तु को चिन्तवन करते हुए छद्मस्थ के ज्ञान उसके आकार का अवलम्बन करता है उसी प्रकार भूत, भविष्यत् वस्तु का विन्तवन करते हुए छवास्थ के भी, ज्ञान उसके आकार का अवलम्बन करता है ( जानता है) । ( २ ) ज्ञान चित्रपट के समान है।
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