Book Title: Pravachansara
Author(s): Kundkundacharya, Shreyans Jain
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 1
________________ युगप्रमुख चारित्रशिरोमणि सन्मार्गविषाकर आचार्य श्री विमलसागर महाराज की हीरक जयन्ती के शुभावसर पर प्रकाशित सिरि कोंडकुंड आइरिय पणीदो पवयणसारो (प्रवच न सा :) मूलगाया, संस्कृतछाया, श्री अमृतचन्द्रसूरि कृत तत्वप्रदीपिका नामक संस्कृत टीका, श्री जयसेनाचार्य कृत तात्पर्यवृत्ति नामक : संस्कृत व्याख्या और स्व० पण्डित श्री अजितकुमार शास्त्री तथा स्व. पं० श्री रतनचन्द मुख्तार के भाषानुवाद से समलंकृत सम्पादक डॉ० श्रेयांसकुमार जैन संस्कृत विभाग, दिगम्बर जैन कालिज, बड़ौत, (उ.प्र.) সাব্বিা श्री भारतवर्षीय अनेकान्त विद्वत्-परिषद

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