Book Title: Pravachansara
Author(s): Kundkundacharya, Shreyans Jain
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 688
________________ 660 ] [ पवयणसारी भाषा दीका में उद्धत वाक्य व गाथा सूची पृ० संख्या 402 अनादिनित्यसम्बन्धात् अरहंत चक्कि फेसब उभयनयविरोधध्वंसिनि चैत्यगुरुप्रवचन जत्तु जदा बेण जिणवरचरणबुरहं जीवदया दम जो आदमावणमिणं जो देहे हिरवेक्खो तथा च मूर्तिमानात्मा तं देवदेवदेवं पृ० संख्या वाक्य 416 | तुच्छागारवबहुला 534 / न च बन्धाप्रसिद्धि 166 | पुग्गलकम्मादीणं 426 पूर्वकर्म करोति बन्ध प्रति भवस्येकम् 426 भत्तीए जिणवराणं . 162 | यदा यथा यत्र 201 लोहो सया पेज 580 | विधूततमसो 416 : स्यााझेवलज्ञाने 426 / स विश्वचक्षुर्वृषभोऽचितः 424 564 58

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