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[ पबयणसारो द्रव्यमात्मनवोत्पद्यते आत्मनवाथतिष्ठते आत्मनव नश्यतीत्यभ्युपगम्यते। तत्तु नाभ्युपगतम् । पर्यायाणामेवोत्पादादयः कुतः क्षणभेदः । तथाहि---यथा कुलालदण्डचक्रचीवरारोप्यमाणसंस्कारसन्निधौ य एव वर्धमानस्य जन्मक्षणः स एवं मृत्पिण्डस्य नाशक्षणः स एव च कोटिद्वयाधिरूढस्य मृत्तिकात्वस्य स्थितिक्षणः। तथा अन्तरङ्गबहिरङ्गसाधनारोप्यमाणसंस्कारसन्निधौ य एवोत्तरपर्यायस्य जन्मक्षणः स एव प्राक्तनपर्यायस्य नाशक्षणः स एवं च कोटिद्वयाधिरूढस्य द्रव्यत्वस्य स्थितिक्षणः । यथा च वर्धमानमृतिपण्डमृत्तिकात्वेषु प्रत्येकवीन्यप्युत्पादव्ययधोव्याणि विस्वमावस्पशिन्यां मृत्ति कायां साभस्त्ये कसमय एवावलोक्यन्ते, तथा उत्तरप्राक्तनपर्यायव्यत्वेषु प्रत्येकवर्तीन्यप्युत्पादव्ययध्रौव्याणि निस्वभावस्पशिनी द्रव्ये सामस्त्येनैकसमय एवावलोक्यन्ते । यथैव च वर्धमानपिण्डमृत्तिकात्ववर्तीन्युत्पादव्ययनौय्याणि मृत्तिकव न वस्त्वन्तरं, तथैवोत्तरप्राक्तनपर्यायव्यत्ववतीन्यप्युत्पादव्ययात्रौव्याणि द्रव्यमेव न खल्वर्थान्तरम् ॥१०२॥
भूमिका—अब उत्पादिकों के समय-भेद को निराकृत करके, (उनके) द्रव्यपने को (एक ही द्रव्य हैं) प्रगट करते हैं
___ अन्वयार्थ-[द्रव्यं] द्रव्य [एकस्मिन् च एव समये] एक ही समय में [संभवस्थितिनाशगंजित बैं: जमाद, धौल्य और व्यय नामक अर्थों के साथ [खलु] वास्तव में [समवेतं] एकमेक है, [तस्मात् ] इसलिये [तत् त्रितयं] यह त्रितय [खलु] वास्तव में [द्रव्यं] द्रव्य है ।
टोका---(प्रथम शंका उपस्थित की जाती है) यहां (विश्व में) वस्तु का जो जन्मक्षण है वह जन्म से ही व्याप्त होने से स्थितिक्षण और नाशक्षण नहीं है, (यह पृथक ही होता है), जो स्थितिक्षण है वह दोनों के अन्तराल में (उत्पादक्षण और नाशक्षण के बीच) दृढतया रहता है, इसलिये (वह) जन्मक्षण और नाशक्षण नहीं है, वह, वस्तु उत्पन्न होकर और स्थिर रहकर फिर नाश को प्राप्त होती है इसलिये, जन्मक्षण और स्थितिक्षण नहीं है, इस प्रकार तर्क-पूर्वक विचार करने पर उत्पादादि का क्षणभेद हृदयभूमि में अवतरित होता है (अर्थात् उत्पाद, व्यय और ध्रौव्य का समय भिन्न-भिन्न होता है, एक नहीं होता, इस प्रकार की बात हृदय में जमती है।)
__ यहां उपरोक्त शंका का समाधान किया जाता है--इस प्रकार उत्पादावि का क्षणभेद हृदयभूमि में तभी उतर सकता है, जब कि यह माना जाय कि 'द्रव्य स्वयं ही उत्पन्न होता है, स्वयं ही ध्रुव रहता है और स्वयं ही नाश को प्राप्त होता है। किन्तु ऐसा तो माना