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। पवयणसारो ध्रौव्यात्मकसत्ताया इति । तथाहि—कासपदार्थस्य तावत्पूर्वसूत्रोदितप्रकारेणोत्पादव्ययध्रौव्यात्मकमस्तित्वं विद्यते तच्चास्तित्वं प्रदेशं विना न घटते। यश्च प्रदेशवान् स कालपदार्थ इति। अथ मतं कालद्रव्याभावेप्युत्पादव्ययध्रौव्यत्वं घटते । नवं । अंगुलिद्रव्याभावे बर्तमानबक्रपर्यायोत्पादो भूत पर्यायस्य विनाशस्तदुभयाधारभूतं ध्रौव्यं । कस्य भविष्यति ? न कस्यापि । तथा कालद्रव्याभावे वर्तमानसमयरूपोत्पादो भूतसमयरूपो विनाशस्तदुभयाधारभूतं ध्रौव्यं । कस्य भविष्यति ? न कस्यापि । एवं सत्येतदायाति-अन्यस्य भङ्गोज्यस्योत्पादोऽन्यस्य ध्रौव्यमिति सर्व वस्तुस्वरूपं विप्लबते । तस्माद्वस्तुविप्लवभयादुत्पादव्ययध्रौव्याणां कोऽप्येक आधारभूतोऽस्तीत्यभ्युपगन्तव्यः । स चैकप्रदेशरूपः कालाणुपदार्थ एवेति । अत्रातीतानन्तकाले ये केचन सिद्धसुखभाजनं जाता, भाविकाले चात्मोपादानसिद्धं स्वयमतिशयवदित्यादिविशेषेण विशिष्टांसद्धसुखस्य भाजनं भविष्यन्ति ते सर्वेऽपि काललाब्धवशेनव, तथापि तत्र निजपरमात्मोपादेयरुचिरूपं वीतरागचारित्राविनाभूतं यनिश्चयसम्यक्त्वं तस्यैव मुख्यत्वं, न च कालस्य, तेन स हेय इति । तथा चोक्तम्
__ "कि पलबिएणबहुणा जे सिद्धा णरवरा गये काले, सिज्झिहि जेवि भविया तं जाणह सम्ममाहप्पं" ॥१४४॥
एवं निश्चयकालव्याख्यानमुख्यत्वेनाप्टमस्थले गाथात्रयं गतम् । इति पूर्वोक्तप्रकारेण "दव्यं जीवमजीवं" इत्यायेकोनविंशतिगाथाभिः स्थलाष्टकेन विशेषज्ञेयाधिकारः समाप्तः । अतः परम शुद्धजीवस्य द्रव्यभाव प्राणैः सह भेदनिमित्तं "सपदेसे हि समग्गो' इत्यादि यथाक्रमेण गाथाष्टक पर्यन्तं सामान्य भेदभावना व्याख्यानं करोति ।
उत्थानिका-आगे उत्पाद व्यय ध्रौव्यमयी अस्तित्व में ठहरे हुए कालद्रव्य के एक प्रदेशपना स्थापित करते हैं
__अन्वय सहित विशेषार्थ----(जस्स पएसा ण संति) जिस किसी पदार्थ के बहुप्रवेश नहीं हैं (व पदेसमेत्तं तस्वदो णाएं) अथवा जो वस्तु अपने स्वरूप से एक प्रदेश मात्र भी नहीं जानी जाती है (तमत्यं सुण्णं जाण) उस पदार्थ को शून्य जानो क्योंकि (अस्थोदो अत्यंतरभूदं) वह उत्पाद व्यय धोव्य रूप अस्तित्व. से अर्थान्तरभूत अर्थात भिन्त हो जायेगा क्योंकि उसमें एक प्रदेश भी नहीं है, जिससे उसकी सत्ता का बोध हो।।
जंसा पूर्व सूत्रों में कहा है उस प्रकार काल पदार्थ में उत्पाद व्यय धौव्यरूप अस्तित्व विद्यमान है। यह अस्तित्व प्रदेश के बिना नहीं घट सकता है। जो प्रदेशवात् है, वही काल पदार्थ है। कोई कहे कि कालद्रव्य के अभाव में भी उत्पाद व्यय नौव्य घट जायेगा? इसका समाधान करते हैं कि ऐसा नहीं है। जैसे अंगुली द्रव्य के न होते हुए वर्तमान वक्र पर्याय का जन्म और भूतकाल की सीधी पर्याय का विनाश तथा दोनों के आधारभूतप्रौव्य किसका होगा? अर्थात किसी का भी न होगा । तैसे ही कालद्रव्य के अभाव में वर्तमान समय रूप उत्पाद व भूत समय रूप विनाश व दोनों का आधार रूप ध्रौव्य किसका