Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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चौवीसवाँ शतक
चौवीसवें शतक के चौवीस दण्डकीय चौवीस उद्देशकों में उपपात आदि वीस द्वारों का निरूपण १२४ प्रथम उद्देश
गति की अपेक्षा से नैरयिकादि-उपपात निरूपण १२५, प्रथम नरक में उत्पन्न होने वाले पर्याप्त असंज्ञीपंचेन्द्रिय-तिर्यंच के विषय में उपपात आदि वीस द्वारों की प्ररूपणा १२६, नरक में उत्पन्न होने वाले संख्यात वर्षायुष्क पर्याप्त संज्ञी-पंचेन्द्रिय, तिर्यचयोनिकों की उपपात - प्ररूपणा १४०, शर्करप्रभा से तमःप्रभा नरक तक में उत्पन्न होने वाले पर्याप्त संख्येयवर्षायुष्य संज्ञी - पंचेन्द्रिय तिर्यंच के उपपात - परिमाणादि वीस द्वारों की प्ररूपणा १४८, सप्तम नरक पृथ्वी में उत्पन्न होने वाले पर्याप्त संख्येयवर्षायुष्क संज्ञी पंचेन्द्रिय-तिर्यंच के उत्पाद परिमाणादि वीस द्वारों की प्ररूपणा १५०, पर्याप्त संख्येयवर्षायुष्क संज्ञी मनुष्यों की समुच्चयरूप से सातों नरकों में उपपात आदि प्ररूपणा १५३, रत्नप्रभा नरक में उत्पन्न होने वाले पर्याप्त संख्येयवर्षायुष्क मनुष्य में उपपात - परिमाणादि वीस द्वारों की प्ररूपणा १५५, शर्कराप्रभा नरक में उत्पन्न होने वाले पर्याप्त संख्येयवर्षायुष्क संज्ञी मनुष्य में उपपात - परिमाणादि द्वारों की प्ररूपणा १५८, बालुका - पंक- धूमं तमः प्रभा नरक में उत्पन्न होने वाले पर्याप्तसंख्येयवर्षायुष्क संज्ञी मनुष्य में उपपात - परिमाणादि द्वारों की प्ररूपणा १६१, सप्तम नरक में उत्पन्न होने वाले पर्याप्त संख्येय वर्षायुष्क संज्ञी मनुष्य में उपपात - परिमाणादि द्वारों की प्ररूपणा १६१ ।
द्वितीय उद्देश
गति की अपेक्षा से असुरकुमारों के उपपात की प्ररूपणा १६४, असुरकुमार में उत्पन्न होने वाले पर्याप्तअसंज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक की उपपात - परिमाणादि वीस द्वारों की प्ररूपणा १६४, संख्येयवर्षायुष्क, असंख्येयवर्षायुष्क संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक की असुरकुमारों में उपपात - प्ररूपणा १६५, असुरकुमार में उत्पन्न होने वाले असंख्येयवर्षायुष्क संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक की उपपात - परिमाणादि वीस द्वारों की प्ररूपणा १६६, असुरकमार में उत्पन्न होने वाले संख्येय वर्षायुष्क संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक में उपपातादि वीस द्वारों की प्ररूपणा १७०, संख्येय वर्षायुष्क, असंख्येय वर्षायुष्क, संज्ञी मनुष्यों की असुरकुमारों में उत्पत्ति का निरूपण १७१, असुरकुमारों में उत्पन्न होने वाले पर्याप्त असंख्येय वर्षायुष्क संज्ञी मनुष्य में उपपात परिमाणादि वीस द्वारों की प्ररूपणा १७३ । तृतीय उद्देश
गति की अपेक्षा से नागकुमारों की उत्पत्ति का निरूपण १७५, नागकुमार में उत्पन्न होने वाले पर्याप्त असंज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिकों में उपपात परिमाणादि वीस द्वारों की प्ररूपणा १७५, नागकुमारों में उत्पन्न होने वाले असंख्येय वर्षायुष्क संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक में उपपात - परिमाणादि वीस द्वारों की प्ररूपणा १७६, नागकुमार में उत्पन्न होने वाले पर्याप्त संख्येय वर्षायुष्क संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक में उपपातादि वीस द्वारों की प्ररूपणा १७८, नागकुमार में उत्पन्न होने वाले असंख्यात वर्षायुष्क संज्ञी मनुष्यों में उपपात - परिमाणादि वीस द्वारों की प्ररूपणा १७९, नागकुमार में उत्पन्न होने वाले पर्याप्त संख्येय वर्षायुष्क संज्ञी मनुष्य में उपपात आदि प्ररूपणा १८० ।
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