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[व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र प्रदेशावगाढ़ अथवा कल्योज-प्रदेशावगाढ़ नहीं हैं। विधानादेश से कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ़ तथा त्र्योज-प्रदेशावगाढ़ नहीं हैं, किन्तु द्वापरयुग्म-प्रदेशावगाढ़ एवं कल्योज-प्रदेशावगाढ़ हैं।
१६१. तिपएसिया णं० पुच्छा।
गोयमा ! ओघादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा, नो तेयोय० नो दावर०, नो कलि विहाणादेसेणं नो कडजुम्मपएसोगाढा, तेयोगपएसोगाढा वि, दावरजुम्मपएसोगाढा वि, कलियोगपएसोगाढा वि।
[१६१ प्र.] भगवन् ! त्रिप्रदेशीस्कन्ध-कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ़ हैं ? इत्यादि प्रश्न।
[१६१ उ.] गौतम ! ओघादेश से वे कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ़ हैं किन्तु योज, प्रदेशावगाढ़, द्वापरयुग्मप्रदेशावगाढ़ और कल्योज-प्रदेशावगाढ़ नहीं हैं, विधानादेश से वे कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ़ नहीं हैं, किन्तु योज प्रदेशावगाढ़ भी हैं, द्वापरयुग्मप्रदेशावगाढ़ भी हैं और कल्योज-प्रदेशावगाढ़ भी हैं।
१६२. चउपएसिया णं० पुच्छा।
गोयमा ! ओघादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा, नो तेयोय०, नो दावर, नो कलिओग०, विहाणादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा वि जाव कलियोगपएसोगाढा वि।
[१६२ प्र.] भगवन् ! चतुष्प्रदेशीस्कन्ध कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ़ हैं ? इत्यादि प्रश्न।
[१६२ उ.] गौतम ! वे ओघादेश से कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ़ हैं, किन्तु त्र्योज-प्रदेशावगाढ़, द्वापरयुग्मप्रदेशावगाढ़ तथा कल्योज-प्रदेशावगाढ़ नहीं हैं। विधानादेश से वे कृतयुग्म-प्रदेशावगाढ़ भी हैं, यावत् कल्योजप्रदेशावगाढ़ भी हैं।
१६३. एवं जाव अणंतपएसिया। [१६३] इसी प्रकार (पंचप्रदेशीस्कन्ध से लेकर) अनन्तप्रदेशी स्कन्ध तक जानना चाहिए। १६४. परमाणुपोग्गले णं भंते ! किं कडजुम्मसमयद्वितीए० पुच्छा। गोयमा ! सिय कडजुम्मसमयद्वितीए जाव सिय कलियोगसमयद्वितीए। [१६४ प्र.] भगवन् ! (एक) परमाणु-पुद्गल कृतयुग्म-समय की स्थिति वाला है ? इत्यादि प्रश्न ।
[१६४ उ.] गौतम ! वह कदाचित् कृतयुग्म-समय की स्थिति वाला है, यावत् कदाचित् कल्योजसमय की स्थिति वाला है।
१६५. एवं जाव अणंतपएसिए। [१६५] इसी प्रकार(द्विप्रदेशीस्कन्ध से लेकर) अनन्तप्रदेशीस्कन्ध तक जानना चाहिए। १६६. परमाणु पोग्गला णं भंते ! किं कडजुम्मसमयद्वितीया० पुच्छा।
गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मसमयद्वितीया जाव सिय कलियोगसमयट्ठितीया; विहाणादेसेणं कडजुम्मसमयट्ठितीया वि जाव कलियोगसमयद्वितीया वि।
[१६६ प्र.] भगवन् ! (बहुत) परमाणु-पुद्गल कृतयुग्म-समय की स्थिति वाले हैं ? इत्यादि प्रश्न ।