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[व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र
६८. सलेस्सा णं भंते ! नेरतिया किरियावादी किं नेरइयाउयं०?
एवं सव्वे वि नेरइया जे किरियावादी ते मणुस्साउयं एगं पकरेंति, जे अकिरियावादी अण्णाणियवादी वेणइयवादी ते सव्वट्ठाणेसु वि नो नेरइयाउयं पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पि पकरेंति, मणुस्साउयं पि पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति; नवरं सम्मामिच्छत्त उवरिल्लेहिं दोहि वि समोसरणेहिं न किंचि वि पकरेंति जहेव जीवपदे।।
[६८ प्र.] भगवन् ! क्या सलेश्य क्रियावादी नैरयिक, नैरयिकायुष्क बांधते हैं ? इत्यादि पूर्ववत् प्रश्न। __ [६८ उ.] गौतम ! सभी नैरयिक, जो क्रियावादी हैं, वे एकमात्र मनुष्यायुष्य ही बांधते हैं, तथा जो अक्रियावादी, अज्ञानवादी और विनयवादी नैरयिक हैं, वे सभी स्थानों में नैरयिक और देव का आयुष्य नहीं बांधते, किन्तु तिर्यञ्च और मनुष्य का आयुष्य बांधते हैं । विशेष यह है कि सम्यग्मिथ्यादृष्टि अज्ञानवादी और विनयवादी इन दो समवसरणों में जीवपद के समान किसी भी प्रकार के आयुष्य का बन्ध नहीं करते।
६९. एवं जाव थणियकुमारा जहेव नेरतिया। . [६९] इसी प्रकार स्तनितकुमारों तक के आयुष्यबन्ध का कथन नैरयिकों के समान जानना चाहिए। ७०. अकिरियावाई णं भंते ! पुढविकाइया० पुच्छा। गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं०, मणुस्साउयं०, नो देवाउयं पकरेंति। [७० प्र.] भगवन् ! अक्रियावादी पृथ्वीकायिक जीव नैरयिक का आयुष्य बांधते हैं ? इत्यादि पूर्ववत् प्रश्न।
[७० उ.] गौतम ! वे भी नैयिक और देव का आयुष्यबन्ध नहीं करते, किन्तु तिर्यञ्च और मनुष्य का आयुष्यबन्ध करते हैं।
७१. एवं अनाणियवादी वि। [७१] इसी प्रकार अज्ञानवादी (पृथ्वीकायिक) जीवों का आयुष्यबन्ध समझना चाहिए। ७२. सलेस्सा णं भंते ! ०।
एवं जं जं पयं अत्थि पुढविकाइयाणं तहिं तहिं मज्झिमेसु दोसु समोसरणेसु एवं चेव दुविहं आउयं पकरेंति, नवरं तेउलेस्साए न किं पि पकरेंति।
[७२ प्र.] भगवन्! सलेश्य अक्रियावादी पृथ्वीकायिक जीव नैरयिक का आयुष्य बांधते हैं ? इत्यादि प्रश्न । _ [७२ उ.] गौतम! जो-जो पद पृथ्वीकायिक जीवों के होते हैं, उन-उन में अक्रियावादी और अज्ञानवादी, इन दो समवसरणों में इसी प्रकार (पूर्वकथनानुसार) मनुष्य और तिर्यञ्च, दो प्रकार का आयुष्य बांधते हैं। किन्तु तेजोलेश्या में तो किसी प्रकार का आयुष्यबन्ध नहीं होता।
७३. [१] एवं आउक्काइयाण वि, वणस्सतिकाइयाण वि। [७३-१] इसी प्रकार अप्कायिक और वनस्पतिकायिक जीवों के आयुष्य-बन्ध के विषय में जानना चाहिए।