Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र पूर्ववत् प्रश्न।
[५३-२ उ.] गौतम ! वे भवनवासी, वाणव्यन्तर अथवा ज्योतिष्क का देवायुष्य नहीं बांधते, किन्तु वैमानिकदेव का आयुष्य बांधते हैं।
५४. केवलनाणी जहा अलेस्सा। [५४] केवलज्ञानी के विषय में अलेश्यी के समान वक्तव्यता जाननी चाहिए। ५५. अन्नाणी जाव विभंगनाणी जहा कण्हपक्खिया। [५५] अज्ञानी से लेकर विभंगज्ञानी तक का आयुष्यबन्ध कृष्णपाक्षिक के समान समझना चाहिए। ५६. सन्नासु चउसु वि जहा सलेस्सा। [५६] आहारादि चारों संज्ञाओं वाले जीवों का आयुष्यबन्ध सलेश्य जीवों के समान है। ५७. नोसन्नोवउत्ता जहा मणपज्जवनाणी। [५७] नोसंज्ञोपयुक्त जीवों का आयुष्यबन्ध मन:पर्यवज्ञानी के सदृश है। ५८. सवेयगा जाव नपुंसगवेयगा जहा सलेस्सा। [५७] सवेदी से लेकर नपुंसकवेदी तक (आयुष्यबन्ध) सलेश्य जीवों के समान है। ५९. अवेयगा जहा अलेस्सा। [५९] अवेदी जीवों का आयुष्यबन्ध अलेश्य जीवों के समान है। ६०. सकसायी जाव लोभकसायी जहा सलेस्सा। [६०] सकषायी से लेकर लोभकषायी तक का सलेश्य जीवों के समान आयुष्यबन्ध जानना। ६१. अकसायी जहा अलेस्सा। [६१] अकषायी जीवों के विषय में अलेश्य के समान जानना। ६२. सजोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा। [६२] सयोगी से लेकर काययोगी तक सलेश्य जीवों के समान आयुष्यबन्ध समझना चाहिए। ६३. अजोगी जहा अलेस्सा। [६३] अयोगी जीवों के विषयों में अलेश्य के समान कहना चाहिए। ६४. सागारोवउत्ता य अणागारोवउत्ता य जहा सलेस्सा। [६४] साकारोपयुक्त और अनाकारोपयुक्त के विषय में सलेश्य जीवों के समान जानना चाहिए।
विवेचन क्रियावादी जीवों के आयुष्यबन्ध का विवरण प्रस्तुत ३३-१ सू. में जो यह कहा गया है कि औधिक क्रियावादी जीव नारक और तिर्यञ्च का आयुष्य नहीं बांधते, किन्तु मनुष्य और देव का