Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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एक्कारसमे एगिंदियसए : पढमाइ-नवमा-पज्जंता उद्देसगा
ग्यारहवाँ एकेन्द्रियशतक : पहले से नौवें पर्यन्त उद्देशक सप्तम एकेन्द्रियशतकानुसार : नीललेश्यी-अभवसिद्धिक-एकेन्द्रियशतक-निर्देश
१. नीललेस्सअभवसिद्धीयएगिदियएहि वि सयं। ॥ तेतीसइमे सए : एक्कारसमे एगिदियसए : पढमाइ-नवम-पजंता उद्देसगा समत्ता॥ ३३।११।१-९॥ [१] इसी प्रकार नीललेश्यी अभवसिद्धिक एकेन्द्रिय का शतक भी जानना चाहिए।
॥ ग्यारहवाँ एकेन्द्रियशतक : पहले से नौवें उद्देशक तक समाप्त॥
॥ तेतीसवां शतक : ग्यारहवाँ एकेन्द्रियशतक सम्पूर्ण॥
बारसमे एगिंदियसए : पढमाइ-नवम-पज्जंता उद्देसगा
बारहवाँ एकेन्द्रियशतक : पहले से नौवें उद्देशक पर्यन्त अष्टम एकेन्द्रियशतकानुसार : कापोतलेश्यी अभवसिद्धिक-एकेन्द्रियशतक-निर्देश
१. काउलेस्सअभवसिद्धीएहि वि सयं। [१] काप्नोतलेश्यी अभवसिद्धिक एकेन्द्रिय का शतक भी इसी प्रकार कहना चाहिए। २. चत्तारि [९-१२] वि अभवसिद्धीयसताणि, नव नव उद्देसगा भवंति।।
[२] इसी प्रकार (नौवें से बारहवें तक) चार अभवसिद्धिक (अवान्तर-) शतक हैं। इनमें प्रत्येक के नौ-नौ उद्देशक हैं।
३. एवं एयाणि बारस एगिंदियसयाणि भवंति।। ॥ तेतीसइमे सए : बारसमे एगिदियसए : पढमाइ-नवम-पज्जंता उद्देसगा समत्ता॥ ३३।१२।१-९॥ [३] इस प्रकार एकेन्द्रिय जीवों के (कुल मिला कर) ये बारह शतक होते हैं।
॥ बारहवाँ एकेन्द्रियशतक : पहले से नौवें उद्देशक तक समाप्त॥ ॥ तेतीसवाँ शतक : बारहवाँ एकेन्द्रियशतक सम्पूर्ण। ॥ तेतीसवाँ शतक समाप्त॥
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