Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti

Previous | Next

Page 860
________________ एगचत्तालीसइमं सयं : रासीजुम्मसयं इकतालीसवाँ शतक : राशियुग्मशतक पढमो उद्देसओ : प्रथम उद्देशक राशियुग्म : भेद और स्वरूप १. [१] कति णं भंते ! रासीजुम्मा पन्नत्ता ? गोयमा ! चत्तारि रासीजुम्मा पन्नत्ता, तंजहा— कडजुम्मे जाव कलियोगे । [ ७२९ [१-१ प्र.] भगवन् ! राशियुग्म कितने कहे गए हैं ? [१-१ उ.] गौतम ! राशियुग्म चार कहे हैं, यथा— कृतयुग्म, योज, द्वापरयुग्म और कल्योज । [२] से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चई - चत्तारि रासीजुम्मा पन्नत्ता, तंजहा जाव कलियोगे ? गोयमा ! जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे चउपज्जवसिए से त्तं रासीजुम्मकडजुम्मे, एवं जाव जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं० एगपज्जवसिए से त्तं रासीजुम्मकलियोगे, सेतेणणं जाव कलियोगे । [१-२ प्र.] भगवन् ! राशियुग्म चार कहे हैं, यथा— कृतयुग्म यावत्, कल्योज, ऐसा किस कारण से कहते हैं ? [१-२ उ.] गौतम ! जिस राशि में चार-चार का अपहार करते हुए अन्त में ४ शेष रहें, उस राशियुग्म को कृतयुग्म कहते हैं, यावत् जिस राशि में से चार-चार अपहार करते हुए अन्त में एक शेष रहे, उस राशियुग्म को ‘कल्योज' कहते हैं । इसी कारण से हे गौतम ! यावत् कल्योज कहलाता है, (यह कहा गया है।) विवेचन - राशियुग्म - कृतयुग्म क्या और क्यों ? – -'युग्म' शब्द युगल (दो) का पर्यायवाची भी है। अतः उसके साथ ‘राशि' विशेषण लगाया गया हैं । जो राशियुग्म हो और कृतयुग्म - परिमाण हो, उसे राशियुग्म - कृतयुग्म कहते हैं । राशियुग्म - कृतयुग्मराशि वाले चौवीस दण्डकों में उपपातादि वक्तव्यता [२ प्र.] भगवन् ! राशियुग्म - कृतयुग्मरूप नैरयिक कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? [२ उ.] इनका उपपात (उत्पत्ति) प्रज्ञापनासूत्र के छठे व्युत्क्रान्तिपद के अनुसार जानना चाहिए। ३. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववजंति ? १. (क) भगवती. अ. वृत्ति, पत्र ९७८ (ख) भगवती. (हिन्दी - विवेचन) भा. ७, पृ. ३७९०

Loading...

Page Navigation
1 ... 858 859 860 861 862 863 864 865 866 867 868 869 870 871 872 873 874 875 876 877 878 879 880 881 882 883 884 885 886 887 888 889 890 891 892 893 894 895 896 897 898 899 900 901 902 903 904 905 906 907 908 909 910 911 912 913 914