SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 776
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [६४५ . एक्कारसमे एगिंदियसए : पढमाइ-नवमा-पज्जंता उद्देसगा ग्यारहवाँ एकेन्द्रियशतक : पहले से नौवें पर्यन्त उद्देशक सप्तम एकेन्द्रियशतकानुसार : नीललेश्यी-अभवसिद्धिक-एकेन्द्रियशतक-निर्देश १. नीललेस्सअभवसिद्धीयएगिदियएहि वि सयं। ॥ तेतीसइमे सए : एक्कारसमे एगिदियसए : पढमाइ-नवम-पजंता उद्देसगा समत्ता॥ ३३।११।१-९॥ [१] इसी प्रकार नीललेश्यी अभवसिद्धिक एकेन्द्रिय का शतक भी जानना चाहिए। ॥ ग्यारहवाँ एकेन्द्रियशतक : पहले से नौवें उद्देशक तक समाप्त॥ ॥ तेतीसवां शतक : ग्यारहवाँ एकेन्द्रियशतक सम्पूर्ण॥ बारसमे एगिंदियसए : पढमाइ-नवम-पज्जंता उद्देसगा बारहवाँ एकेन्द्रियशतक : पहले से नौवें उद्देशक पर्यन्त अष्टम एकेन्द्रियशतकानुसार : कापोतलेश्यी अभवसिद्धिक-एकेन्द्रियशतक-निर्देश १. काउलेस्सअभवसिद्धीएहि वि सयं। [१] काप्नोतलेश्यी अभवसिद्धिक एकेन्द्रिय का शतक भी इसी प्रकार कहना चाहिए। २. चत्तारि [९-१२] वि अभवसिद्धीयसताणि, नव नव उद्देसगा भवंति।। [२] इसी प्रकार (नौवें से बारहवें तक) चार अभवसिद्धिक (अवान्तर-) शतक हैं। इनमें प्रत्येक के नौ-नौ उद्देशक हैं। ३. एवं एयाणि बारस एगिंदियसयाणि भवंति।। ॥ तेतीसइमे सए : बारसमे एगिदियसए : पढमाइ-नवम-पज्जंता उद्देसगा समत्ता॥ ३३।१२।१-९॥ [३] इस प्रकार एकेन्द्रिय जीवों के (कुल मिला कर) ये बारह शतक होते हैं। ॥ बारहवाँ एकेन्द्रियशतक : पहले से नौवें उद्देशक तक समाप्त॥ ॥ तेतीसवाँ शतक : बारहवाँ एकेन्द्रियशतक सम्पूर्ण। ॥ तेतीसवाँ शतक समाप्त॥ ***
SR No.003445
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages914
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy