Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र
[७३] इसी प्रकार पर्याप्त बादर वनस्पतिकायिक पर्यन्त जानना चाहिए। ७४. एगिंदिया णं भंते ! कओ उववजंति ? किं नेरइएहिंतो ? जहा वक्कंतीए पुढविकाइयाणं उववाओ। [७४ प्र.] भगवन् ! एकेन्द्रिय जीव कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? इत्यादि प्रश्न।
[७४ उ.] गौतम ! प्रज्ञापनासूत्र के छठे व्युत्क्रान्तिपद में उक्त पृथ्वीकायिक जीव के उपपात के समान इनका भी उपपात कहना चाहिए।
७५ एगिंदियाणं भंते ! कति समुग्घाया पन्नत्ता ? गोयमा ! चत्तारि समुग्घाया पन्नत्ता, तं जहा—वेयणासमुग्घाए जाव वेउब्वियसमुग्घाए। [७५ प्र.] भगवन् ! एकेन्द्रिय जीवों के कितने समुद्घात कहे हैं ? [७५ उ.] गौतम ! उनके चार समुद्घात कहे हैं यथा-वेदनासमुद्घात यावत् वैक्रियसमुद्घात ।
७६.[१] एगिंदिया णं भंते ! किं तुल्लद्वितीया तुल्लविसेसाहियं कम्मं पकरेंति, तुल्लद्वितीया वेमायविसेसाहियं कम्मं पकरेंति, वेमायद्वितीया तुल्लविसेसाहियं कम्मं पकरेंति, वेमायट्ठितीया वेमायविसेसाहियं कम्मं पकरेंति ?
गौतम ! अत्थेगइया तुल्लट्ठितीया तुल्लविसेसाहियं कम्मं पकरेंति, अत्थेगइया तुल्लट्ठितीया वेमायविसेसाहियं कम्मं पकरेंति, अत्थेगइया वेमायद्वितीया तुल्लविसेसाहियं कम्मं पकरेंति, अत्थेगइया वेमायद्वितीया वेमायविसेसाहियं कम्मं पकरेंति।
__ [७६-१ प्र.] भगवन् ! १. तुल्य (समान) स्थिति वाले एकेन्द्रिय जीव तुल्य और विशेषाधिककर्म का बन्ध करते हैं ? २. अथवा तुल्य स्थिति वाले एकेन्द्रिय जीव भिन्न-विशेषाधिक कर्मबन्ध करते हैं ? ३. अथवा भिन्न-भिन्न स्थिति वाले एकेन्द्रिय जीव तुल्य-विशेषाधिक कर्मबन्ध करते हैं ? या ४. भिन्न-भिन्न स्थिति वाले एकेन्द्रिय जीव भिन्न-विशेषाधिक कर्मबन्ध करते हैं ?
[७६-१ उ.] गौतम ! तुल्य स्थिति वाले कई एकेन्द्रिय जीव तुल्य और विशेषाधिक कर्मबन्ध करते हैं, तुल्य स्थिति वाले कतिपय एकेन्द्रिय जीव भिन्न-भिन्न विशेषाधिक कर्मबन्ध करते हैं, कई भिन्न-भिन्न स्थिति वाले एकेन्द्रिय जीव तुल्य-विशेषाधिक कर्मबन्ध करते हैं और कई भिन्न-भिन्न स्थिति वाले एकेन्द्रिय जीव भिन्न-भिन्न विशेषाधिक कर्मबन्ध करते हैं। __ [२] से केणढेणं भंते ! एवं वुच्चति—अत्थेगइया तुल्लद्वितीया जाव वेमायविसेसाहियं कम्मं पकरेंति?
गोयमा ! एगिंदिया चउब्विहा पन्नत्ता, तं जहा—अत्थेगइया समाउया समोववन्नगा, अत्थेगइया समाउया विसमोववनगा, अत्थेगइया विसमाउया समोववनगा, अत्थेगइया विसमाउया विसमोववन्नगा। तत्थ णं जे ते समाउया समोववनगा ते णं तुल्लट्ठितीया तुल्लविसेसाहियं कम्मं पकरेंति, तत्थ णं जे ते