Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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तीसवां शतक : उद्देशक १]
[५८३ १०. सम्मामिच्छट्ठिी णं० पुच्छा। गोयमा ! नो किरियावादी, नो अकिरियावादी, अन्नाणियवादी वि, वेणइयवादी वि। [१० प्र.] भगवन् ! सम्यग्मिथ्या (मिश्र) दृष्टि जीव क्रियावादी हैं ? इत्यादि पूर्ववत् प्रश्न।
[१० उ.] गौतम ! वे न तो क्रियावादी हैं और न ही अक्रियावादी हैं, किन्तु वे अज्ञानवादी हैं और विनयवादी भी हैं।
११. णाणी जाव केवलनाणी जहा अलेस्सा। [११] ज्ञानी (से लेकर) यावत् केवलज्ञानी जीव, अलेश्य जीवों के तुल्य हैं। १२. अण्णाणी जाव विभंगनाणी जहा कण्हपक्खिया। [१२] अज्ञानी (से लेकर) यावत् विभंगज्ञानी जीव, कृष्णपाक्षिक जीवों के समान हैं। १३. आहारसन्नोवउत्ता जाव परिग्गहसण्णेवउत्ता जहा सलेस्सा। [१३] आहारसंज्ञोपयुक्त यावत् परिग्रहसंज्ञोपयुक्त जीव सलेश्य जीवों के समान हैं। १४. नोसण्णोवउत्ता जहा अलेस्सा। [१४] नोसंज्ञोपयुक्त जीवों का कथन अलेश्य जीवों के समान है। १५. सवेयगा जाव नपुंसगवेयगा जहा सलेस्सा। [१५] सवेदी (से लेकर) नपुंसकवेदी जीव तक सलेश्य जीवों के सदृश हैं। १६. अवेयगा जहा अलेस्सा। [१६] अवेदी जीवों का कथन अलेश्य जीवों के तुल्य है। १७. सकसायी जाव लोभकसायी जहा सलेस्सा। [१७] सकषायी (से लेकर) यावत् लोभकषायी जीवों का कथन सलेश्य जीवों के समान है। १८. अकसायी जहा अलेस्सा। [१८] अकषायी जीवों का कथन अलेश्य जीवों के सदृश है। १९. सजोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा। [१९] सयोगी (से लेकर) काययोगी पर्यन्त जीवों का कथन सलेश्य जीवों के समान है। २०. अजोगी जहा अलेस्सा। [२०] अयोगी जीव, अलेश्य जीवों के समान हैं। २१. सागारोवउत्ता अणागारोवउत्ता य जहा सलेस्सा।