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[व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र देशकम्पक असंख्यातगुण हैं, उनसे निष्कम्पक असंख्यातगुण हैं । अनन्तप्रदेशी स्कन्धों में सर्वकम्पक सबसे अल्प हैं, निष्कम्प अनन्तगुण हैं और उनसे देशकम्पक अनन्तगुण हैं । सर्व-देश-निष्कम्प परमाणुओं से अनन्त प्रदेशीस्कन्ध तक के अल्पबहुत्व की चर्चा
२४५. एएणि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं, संखेजपएसियाणं असंखेजपएसियाणं अणंतपएसियाण य खंधाणं देसेयाणं सव्वेयाणं निरेयाणं दव्वट्ठयाए पएसट्ठयाए दव्वट्ठपएसट्ठयाए कयरे कयरहितो जाव विसेसाहिया वा ?
गोयमा ! सव्वत्थोवा अणंतपएसिया खंधा सव्वेया दव्वट्ठयाए १, अणंतपएसिया खंधा निरेया दव्वट्ठयाए अणंतगुणा २, अणंतपएसिया खंधा देसेया दव्वट्ठयाए अणंतगुणा ३, असंखेजपएसिया खंधा सव्वेया दव्वट्ठयाए अणंतगुणा ४, संखेजपएसिया खंधा सव्वेया दवट्ठयाए असंखेजगुणा ५, परमाणुपोग्गला सव्वेया दवट्ठयाए असंखेंजगुणा ६, संखेजपएसिया खंधा देसेया दवट्ठयाए असंखेजगुणा ७, असंखेजपएसिया खंधा देसेया दव्वट्ठयाए असंखेजगुणा ८, परमाणुपोग्गला निरेया दव्वट्ठयाए असंखेजगुणा ९, संखेजपएसिया खंधा निरेया दव्वट्ठयाए संखेजगुणा १०, असंखेजपएसिया खंधा निरेया दव्वट्ठयाए असंखेजगुणा ११।
पएसट्टयाए-सव्वत्थोवा अणंतपदेसिया। एवं पएसट्टयाए वि, नवरं परमाणुपोग्गला अपएसट्ठयाए भाणियव्वा। संखेजपएसिया खंधा निरेया पएंसट्ठयाए असंखेजगुणा सेसं तं चेव।
दवटुपएसट्ठयाए सव्वत्थोवा अणंतपएसिया खंधा सव्वेया दव्वट्ठयाए १, ते चेव पएसट्टयाए अणंतगुणा २, अणंतपएसिया खंधा निरेया दव्वट्ठयाए अणंतगुणा ३, ते चेव पएसट्ठयाए अणंतगुणा ४, अणंतपएसिया खंधा देसेया दव्वट्ठयाए अणंतगुणा ५, ते चेव पएसट्ठयाए अणंतगुणा ६, असंखेजपएसिया खंधा सव्वेया दव्वट्ठयाए अणंतगुणा ७, ते चेव पएसट्टयाए असंखेजगुणा ८, संखेजपएसिया खंधा सव्वेया दव्वट्ठयाए असंखेजगुणा ९, ते चेव पएसट्ठयाए असंखेजगुणा १०, परमाणुपोग्गला सव्वेया दव्वट्ठअपएसट्टयाए असंखेजगुणा ११, असंखेजपएसिया खंधा देसेया दव्वट्ठयाए असंखेजगुणा १२, ते चेव पएसट्ठयाए असंखेजगुणा १३, असंखेजपएसिया खंधा देसेया दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा १४, ते चेव पएसट्टयाए असंखेजगुणा १५, परमाणुपोग्गला निरेया दव्वटुअपएसट्ठयाए असंखेजगुणा १६, संखेजपएसिया खंधा निरेया दव्वट्ठयाए संखेजगुणा १७, ते चेव पएसट्ठयाए संखेजगुणा १८, असंखेजपएसिया खंधा निरेया दव्वट्ठयाए असंखेजगुणा १९, ते चेव पएसट्टयाए असंखेजगुणा २०।
[२४५ प्र.] भगवन् ! इन देशकम्पक, सर्वकम्पक और निष्कम्पक परमाणु-पुद्गलों, संख्यात-प्रदेशी, असंख्यात-प्रदेशी और अनन्त-प्रदेशी स्कन्धों में, द्रव्यार्थ से, प्रदेशार्थ तथा द्रव्यार्थ-प्रदेशार्थ से कौन किससे यावत् विशेषाधिक हैं ?
[१४५ उ.] गौतम ! (१) सर्वकम्पक अनन्त-प्रदेशी स्कन्ध द्रव्यार्थ से सबसे थोड़े हैं, (२) उनसे