Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र (२) द्वीन्द्रिय का संवेध चार भवों की अपेक्षा ४८ वर्ष होता है और त्रीन्द्रिय के चार भवों का संवेध १९६ रात्रि-दिवस होता है। दोनों को मिलाने से १९६ रात्रि-दिवस अधिक ४८ वर्ष, द्वीन्द्रिय के साथ त्रीन्द्रिय का तीसरे गमक का संवेधकाल होता है। त्रीन्द्रिय का त्रीन्द्रिय के साथ आठ भवों का संवेधकाल ३९२ रात्रिदिवस होता है। इसी प्रकार चतुरिन्द्रिय, असंज्ञी तिर्यञ्च, संज्ञी तिर्यञ्च, असंज्ञी मनुष्य और संज्ञी मनुष्य के साथ तीसरे गमक का संवेधकाल जानना चाहिए।
(३) तीसरे गमक का संवेधकाल बताया गया है, इसलिए तदनुसार छठे आदि गमकों का संवेधकाल सूचित हुआ समझना चाहिए। क्योंकि उनमें भी आठ भव होते हैं। एकेन्द्रिय और विकलेन्द्रिय के साथ प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ और पंचम—इन चार गमकों का संवेध भवादेश से संख्यात भव और कालादेश में संख्यातकाल जानना चाहिए।
॥ चौवीसवां शतक : अठारहवाँ उद्देशक सम्पूर्ण॥
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१. (क) भगवतीसूत्र. अ. वृत्ति, पत्र ८३४
(ख) भगवती. (हिन्दी विवेचन) भाग ६, पृ. ३१११-३११२