Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र षट् द्रव्य और उनमें द्रव्यार्थ तथा प्रदेशार्थ रूप से युग्मभेद निरूपण
८. कतिविधा णं भंते ! सव्वदव्वा पन्नत्ता ? गोयमा ! छव्विहा सव्वदव्वा पन्नत्ता, तं जहा–धम्मत्थिकाये अधम्मत्थिकाये जाव अद्धासमये। [८ प्र.] भगवन् ! सर्व द्रव्य कितने प्रकार के कहे हैं ?
[८ उ.] गौतम ! सर्व द्रव्य छह प्रकार के कहे हैं। यथा—धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय यावत् अद्धासमय (काल)।
९. धम्मत्थिकाये णं भंते ! दव्वट्ठयाए कि कडजुम्मे जाव कलियोगे? गोयमा ! नो कडजुम्मे, नो तेयोए, नो दावरजुम्मे, कलियोए। [९ प्र.] भगवन् ! धर्मास्तिकाय क्या द्रव्यार्थ रूप से कृतयुग्म यावत् कल्योज रूप है ?
[९ उ.] गौतम ! धर्मास्तिकाय द्रव्यार्थ रूप से कृतयुग्म नहीं, त्र्योज भी नहीं है और द्वापर-युग्म भी नहीं है, किन्तु कल्योज रूप है।
१०. एवं अधम्मत्थिकाये वि। [१०] इसी प्रकार अधर्मास्तिकाय के विषय में समझना चाहिए। ११. एवं आगासत्थिकाये वि। [११] आकाशास्तिकाय विषयक कथन भी इसी प्रकार है। १२. जीवत्थिकाए णं० पुच्छा। गोयमा ! कडजुम्मे, नो तेयोए, नो दावरजुम्मे, नो कलियोए। [१२ प्र.] भगवन् ! जीवास्तिकाय द्रव्यार्थ रूप से कृतयुग्म है ? इत्यादि (पूर्ववत्) प्रश्न। [१२ उ.] गौतम ! वह द्रव्यार्थ रूप से कृतयुग्म है, किन्तु त्र्योज, द्वापरयुग्म या कल्योज नहीं है। १३. पोग्गलत्थिकाये णं भंते ! ० पुच्छा। गोयमा ! सिय कडजुम्मे, जाव सिय कलियोए। [१३ प्र.] भगवन् ! पुद्गलास्तिकाय द्रव्यार्थ रूप से कृतयुग्म है ? इत्यादि प्रश्न। [१३ उ.] गौतम ! वह द्रव्यार्थ रूप से कदाचित् कृतयुग्म है, यावत् कदाचित् कल्योज रूप है। १४. अद्धासमये जहा जीवत्थिकाये। [१४] अद्धा-समय (काल) का कथन जीवास्तिकाय के समान है। १५. धम्मत्थिकाये णं भंते ! पएसट्ठताए किं कडजुम्मे० पुच्छा। गोयमा ! कडजुम्मे, नो तेयोए, नो दावरजुम्मे, नो कलियोगे।