Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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वीसइमो : पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिय- उद्देसओ
वीसवाँ उद्देशक : पंचेन्द्रिय- तिर्यञ्चयोनिक-सम्बन्धी
१. पंचिदियतिरिक्खजोणिया णं भंते ! कओहिंतो उववज्जंति ? किं नेरतिएहिंतो उवव०, तिरिक्खमणुस्स - देवेहिंतो उववज्जंति ?
गोयमा ! नेरइएहिंतो वि उवव०, तिरिक्ख मणुएहिंतो वि उववज्जंति, देवेहिंतो वा उववज्जंति । [१ प्र.] भगवन् ! पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीव कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? क्या वे नैयिकों से आकर उत्पन्न होते हैं या तिर्यञ्चों, मनुष्यों अथवा देवों से आकर उत्पन्न होते हैं ?
[१ उ.] गौतम ! वे नैरयिकों से आकर उत्पन्न होते हैं, तिर्यञ्चों, मनुष्यों तथा देवों से भी आकर उत्पन्न होते हैं।
विवेचन — निष्कर्ष — पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीव, नारकों, तिर्यञ्चों, मनुष्यों एवं देवों से आकर उत्पन्न होते हैं ।
नरक - पृथ्वियों की अपेक्षा पंचेन्द्रियतिर्यञ्चों में उत्पत्ति - निरूपण
२. जइ नेरइएहिंतो उववज्जंति किं रणयप्पभपुढविनेरइएहिंतो उववज्जंति जाव असत्तमपुढविनेरइएहिंतो उववज्जंति ?
गोयमा ! रयणप्पभपुढविनेरइएहिंतो वि उवव० जाव अहेसत्तमपुढविनेरइएहिंतो वि० ।
[२ प्र.] भगवन् ! यदि वे (पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक) नैरयिकों से आकर उत्पन्न होते हैं, तो क्या वे रत्नप्रभापृथ्वी के नैरयिकों से आकर उत्पन्न होते हैं, अथवा यावत् वे अधः सप्तमपृथ्वी के नैरयिकों से आकर उत्पन्न होते हैं ?
[ २ उ.] गौतम ! वे रत्नप्रभापृथ्वी के नैरयिकों से, यावत् अधः सप्तमपृथ्वी के नैरयिकों से आकर उत्पन्न
होते हैं।
विवेचन निष्कर्ष — पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीव, प्रथम से लेकर सप्तम नरक के नैरयिकों से आकर उत्पन्न होते हैं ।
पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चों में उत्पन्न होने वाले सात नारकों के नैरयिकों के उत्पाद - परिमाणादि द्वारों की प्ररूपणा
३. रयणप्पभपुढविनेरइए णं भंते ! जे भविए पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववजित्त से भंते ! केवतिकालट्ठितीएसु उवव० ?