Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text
________________
११९]
चउत्थे 'पाठा' वग्गे : दस उद्देसगा
___चतुर्थ पाठा वर्ग : दश उद्देशक प्रथम वर्गानुसार चतुर्थ पाठावर्ग का निरूपण
१. अह भंते! पाढा-मियवालुंकि-मधुररस-रायवल्लि-पउम-मोढरि-दंति-चंडीणं १, एएसि णं जे जीवा मूल०? ___ एवं एत्थ वि मूलाईया दस उद्देसगा आलुयवग्गसरिसा, नवरं ओगाहणा जहा वल्लीणं, सेसं तं चेव। सेवं भंते ! सेवं भंते! त्ति०
॥तेवीसइमे सए : चउत्थो वग्गो समत्तो॥२३-४॥ [१ प्र.] भगवन् ! पाठा, मृगवालुंकी, मधुररसा, राजवल्ली, पद्मा, मोढरी, दन्ती और चण्डी, इन सब वनस्पतियों के मूल के रूप में जो जीव उत्पन्न होते हैं, वे कहाँ से आते हैं? .
[१ उ.] गौतम! इस विषय में भी आलूवर्ग के समान मूलादि दश उद्देशक कहने चाहिए। विशेष यह है कि इनकी अवगाहना (२२वें शतक के छठे) वल्लीवर्ग के समान समझनी चाहिए। शेष सब वर्णन पूर्ववत् है।
'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है' इत्यादि।
॥ तेईसवाँ शतक : चतुर्थ वर्ग समाप्त॥
ॐॐॐ
१. देखिये प्रज्ञापना. में—पाढा मियवालुकी महूररसा चेव रायवत्ती(ल्ली) य।
पउमा माढरि दंतीति चंडीकिट्ठी त्ति यावरा।
-प्रज्ञापना प.१. पत्र ३४-२