Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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चउत्थाइ-एगारस-पज्जता सुवण्णकुमाराइ-थणियकुमार
पज्जंता उद्देसगा
चतुर्थ से लेकर ग्यारहवें उद्देशक तक : सुवर्णकुमार से स्तनितकुमार तक चौथे से लेकर ग्यारहवें उद्देशक की समग्र वक्तव्यता : तृतीय नागकुमार-उद्देशकानुसार
१. अवसेसा सुवण्णकुमारादी जाव थणियकुमारा, एए अट्ठ वि उद्देसगा जहेव नागकुमाराणं तहेव निरवसेसा भाणियव्वा। सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति।
॥ चउवीसतिमे सए : चउत्थाइ-एगारसपजंता उद्देसगा समत्ता॥ २४-४-११॥ [१] सुवर्णकमारों से लेकर स्तनितकुमारों तक अवशिष्ट आठ भवनपति देवों के ये आठ उद्देशक भी नागकुमारों के समान समग्र वक्तव्यता-युक्त कहने चाहिये।
'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है;' यों कह कर गौतमस्वामी यावत् विचरते
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॥चौवीसवाँ शतक : चार से ग्यारह उद्देशक तक सम्पूर्ण॥
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