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बावीसइमं सयं : बाईसवाँ शतक
बाईसवें शतक के छह वर्गों के नाम : इनके आठ उद्देशकों का निरूपण १. तालेगट्ठिय १-२ बहुबीयगा ३ य गुच्छा ४ य गुम्म ५ वल्ली ६ य।
छद्दसवग्गा एए सढेि पुण होंति उद्देसा ॥१॥ [१ गाथार्थ-] इस शतक में दस-दस उद्देशकों के छह वर्ग इस प्रकार हैं—(१) ताल, (२) अगस्तिक (या एकास्थिक), (३) बहुबीजक, (४) गुच्छ, (५) गुल्म और (६) वल्लि (बेल)। प्रत्येक वर्ग के १०-१० उद्देशक होने से, सब मिला कर साठ उद्देशक होते हैं।
विवेचन—बाईसवें शतक के वर्गों में प्रतिपाद्य विषय(१) प्रथम वर्ग ताल—इसमें ताल, तमाल आदि वृक्षों के विषय में दश उद्देशक हैं। ( २ ) द्वितीय वर्ग एकास्थिक—जिसमें एक गुठली हो, ऐसे नीम, आम, जामुन आदि का इसमें
वर्णन है। (३) तृतीय वर्ग—बहुबीजक—इसमें बहुत बीज वाली अस्थिक, तिन्दुक आदि वनस्पतियों का वर्णन
(४) चौथा वर्ग-गुच्छ—इसमें गुच्छ वाली बैंगन वाली, वनस्पतियों का वर्णन है। (५) पंचम वर्ग-गुल्म—इसमें नवमालिका, सिरियक आदि वनस्पतियों से सम्बन्धित वर्णन है, और (६) छठा वर्ग वल्ली—इसमें बेलों से सम्बन्धित निरूपण है। प्रत्येक वर्ग के मूल आदि दस-दस उद्देशक पूर्ववत् हैं।
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१. वियाहपण्णत्तिमुत्त भा.२ (मूलपाठ-टिप्पण), पृ.८९७