Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 04 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र सर्वरूक्ष, एकदेश शीत और एकदेश उष्ण, इसके भी पूर्ववत् तीन भंग होते हैं। कुल मिलाक' त्रिकसंयोगी त्रिस्पर्शी के (३+३+३+३=१२) बारह भंग होते हैं। यदि त्रिप्रदेशीस्कन्ध चार स्पर्श वाला होता है, तो (१) एकदेश शीत, एकदेश उष्ण, एकदेश स्निग्ध और एकदेश रूक्ष होता है। अथवा (२) एकदेश शीत, एकदेश उष्ण, एकदेश स्निग्ध और अनेकदेश रूक्ष होते हैं। अथवा (३) एकदेश शीत, एकदेश उष्ण, अनेकदेश स्निग्ध और एकदेश रूक्ष होता है । अथवा (४) एकदेश शीत, अनेकदेश उष्ण, एकदेश स्निग्ध और एकदेश रूक्ष होता है। या (५) एकदेश शीत, अनेकदेश उष्ण, एकदेश स्निग्ध और अनेकदेश रूक्ष होते हैं । अथवा (६) एकदेश शीत, अनेकदेश उष्ण, अनेकदेश स्निग्ध और एकदेश रूक्ष होता है। या (७) अनेकदेश शीत, एकदेश उष्ण, एकदेश स्निग्ध और एकप्रदेश रूक्ष। (८) अथवा अनेकदेश शीत, एकदेश उष्ण, एकदेश स्निग्ध और अनेकदेश रूक्ष। (९) अथवा अनेकदेश शीत, एकदेश उष्ण, अनेकदेश स्निग्ध और एकदेश रूक्ष होता है।
इस प्रकार त्रिप्रदेशिक स्कन्ध में स्पर्श के कुल (४+१२+९=२५) पच्चीस भंग होते हैं।
विवेचन–त्रिप्रदेशी स्कन्ध में वर्णादि के एक सौ वीस भंग-त्रिप्रदेशी स्कन्ध में तीन परमाणु (प्रदेश) होते हैं, तथापि तथाविध परिणाम के कारण वे तीनों एकप्रदेशावगाही, द्विप्रदेशावगाही और त्रिप्रदेशावगाही होते हैं। जब वे एकप्रदेशावगाही होते हैं, तब उनमें अंश की कल्पना नहीं हो सकती। जब वे द्विप्रदेशावगाही होते हैं, तब उनमें दो अंशों की और जब त्रिप्रदेशावगाही होते हैं, तब तीन अशों की कल्पना हो सकती है। जब तीनों ही प्रदेश काला आदि एक वर्ण-रूप परिणाम वाले होते हैं, तब उनके पांच विकल्प होते हैं। जब दो वर्णरूप परिणाम होता है, तब एक प्रदेश काला और दो प्रदेश एक आकाशप्रदेशावगाही होने से एक अंश नीला होता है, इस प्रकार द्विक-संयोगी प्रथम भंग होता है। अथवा एक प्रदेश काला होता है और दो प्रदेश भिन्न-भिन्न दो आकाश प्रदेशावगाही होने से दो अंश नीले हों, ऐसी विवक्षा हो सकती है। इस प्रकार दूसरा भंग हुआ। इसी प्रकार दो अंश काले हों और एक अंश नीला हो, इस प्रकार एक द्विकसंयोगी के तीन-तीन भंग होने के कारण दस द्विकसंयोगी के तीस भंग होते हैं। ___ गन्ध के एक गन्ध-परिणाम हो, तब दो भंग होते हैं। जब दो गन्ध परिणाम वाला होता है, तब एकअंश और अनेकअंश की कल्पना से पूर्ववत् तीन भंग होते हैं।
__ वर्ण के समान ही रस-सम्बन्धी द्विकसंयोगी ३० भंग, त्रिसंयोगी १० भंग और असंयोगी ५ भंग, यों कुल मिलाकर ४५ भंग होते हैं।
जब त्रिप्रदेशी स्कन्ध के दो स्पर्श होते हैं, तब द्विप्रदेशी के समान चार भंग होते हैं। जब तीन स्पर्श होते हैं तब तीनों प्रदेश शीत होने से सर्वशीत, एकप्रदेशात्मक एकदेश स्निग्ध और द्विप्रदेशात्मक एकदेश रूक्ष होता है। यह प्रथम भंग है। इसी प्रकार सर्वशीत, एकदेश स्निग्ध और अनेकदेश रूक्ष, यह दूसरा भंग है तथा सर्वशीत, अनेकदेश स्निग्ध और एकदेश रूक्ष, यह तीसरा भंग है। इस प्रकार तीन भंग होते हैं। इसी प्रकार सर्वउष्ण, सर्वस्निग्ध और सर्वरूक्ष के साथ भी तीन-तीन भंग जानने चाहिए।
त्रिप्रदेशी स्कन्ध के चार स्पर्श के सर्व अंश एकवचन में हों, तब प्रथम भंग बनता है। जैसे—एकदेश