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श्रद्धाञ्जलि है जब आप धाराप्रवाह वैराग्यमय उपदेशसे हृदयको आनन्द विभोर कर देते हैं । मैं पूज्य वर्णोजीको अपनी विनय युक्त श्रद्धाञ्जलि अर्पित करता हुआ, उनके चिरजीवी होने की शुभकामना करता हूं जिससे विश्वका कल्याण हो । कानपुर ]
(बाबू ) कपूरचन्द्र धूपचन्द्र जैन
卐 'गतानुगतिको हिलोकः' बहुत समयसे मेरे मनमें धर्मकार्य करनेकी इच्छा रहती थी। मेरे प्रान्त तथा वंशमें रथयात्रा, श्रादिकी प्रथा है । मनमें संकल्प किया रथ चलाऊ और श्रीमन्त सेट बनकर पिताजी के धरकी शान बढ़ाऊं । भगवान् वीरको इस क्षेत्रकी जनता स्वयमेव जान जायगी जब पंच कल्याणकोंकी झड़ी लगे गी। याद आये वर्णोजी कहते हुए 'शास्त्र दान सब दानोंसे बड़ा है ।' वही करू, वर्णीजी ठीक ही कहते हैं 'नाम पै मत मरो, काम करो।' मेरा परम सौभाग्य जो मुझ ऐसे व्यक्तिके पैसेके निमित्तसे 'वे धवल सिद्धान्त ग्रन्थ' प्रकाशमें आये जिनके दर्शन के लिए लोग तरसते थे ।
लडका हा. फिर दान करनेकी इच्छा हुई। बाबाजीसे मिला "अरे ए भैया काये को संकल्प विकल्प करत हो पाठशाला हैई स्कूल और खोल दो।" आज वह स्कूल कौलेज हो गया मुझे समाज, राज तथा देशमें सम्मान मिल रहा है। धर्मका सार क्या है यह तो वर्णीजीने ही बताया है। उनकी विद्वत्ता, सभा चातुर्य, भाषण शैली, दया-माया, आदिकी मैं क्या तारीफ कर सकता हूं। मेरे लिए तो “वलिहारी गुरु आपकी जिन गुरू दियो बताय ।" मेरे सवर्गीय बाबाजीके आदेश पर चलें
और बाबाजी चिरकाल तक हमारे बचे रहैं यही वीर प्रभुके चरणोंके स्मरण पूर्वक भावना है। दानवीर-कुटीर भेलसा ]
( श्रीमन्तसेठ) सितावराय लक्ष्मीचन्द
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पूज्य पं. गणेशप्रसादजी वर्णी बुन्देलखण्डकी पवित्र देन हैं इसलिए बुन्देलखण्डको अभिमान नहीं है, किन्तु बुन्देलखण्डी भाषाके लालित्य और सरलताका सामञ्जस्य जिस प्रकार पूज्यवर के गहन तत्त्व-पूर्ण उपदेश की शैलीमें चमका है उसका अवश्य हो बुन्देलखण्ड उतना ही अभिमान कर सकता है जितना गुजरात विश्ववन्द्य महात्मा गांधी पर करता है । चन्दनके वृक्षसे चिपटे हुए सर्प जिस प्रकार मधुर ध्वनि सुनकर हठात् शिथिल हो जाते हैं उसी प्रकार मनुष्यसे लिपटे क्रोध-मान माया-लोभादि कषाय रूपी सर्प उपदेश सुनते ही क्षण भरके लिए स्वयं ही शान्त हो जाते हैं। इसमें वर्णीजीकी सरल विद्वत्ता पूर्ण भाषा ही मुख्य कारण है।
चूंकि वीजी स्व-पर कल्याण की भावनामें अधिक व्यस्त रहते हैं इसलिए भले ही कोई उनकी भोलो शकल परसे गलत और तदनुसार पांडित्यपूर्ण दलीलें देकर अपना काम निकालनेका
पंतीस