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भगवान महावीरकी निर्वाणभूमि श्री प्रा० डा० राजबली पाण्डेय, एम० ए०, डी० लिट.
इस बातको सभी मानते हैं कि भगवान् महावीरका निर्वाण पावा-(अ-पापा ) पुरीमें हुआ था । आज कल श्रद्धालु जैन जिस स्थानको उनकी निर्वाणभूमि समझ कर तीर्थयात्रा करने जाते हैं वह पटना जिलान्तर्गत राजगृह और नालन्दाके बीच बड़गांवमें स्थित है। प्रस्तुत लेखकके मतमें अाधुनिक पावाकी प्रतिष्ठा भावना-प्रसूत, पश्चात्-स्थानान्तरित और कल्पित प्रतीत होती है । वास्तविक पावापुरी उससे भिन्न और दूरस्थ थी। निर्वाण वर्णन--
मूल ग्रन्थों में भगवान् महावीरके निर्वाणके सम्बन्धमें निम्नलिखित वर्णन मिलते हैं१-जैन कल्पसूत्र और परिशिष्ट-पर्वन्के अनुसार भगवान् महावीरका निर्वाण (देहावसान)
मल्लोंकी राजधानी पावामें हुआ। मल्लोंकी नव शाखाअोंने निर्वाणस्थान पर दीपक जला
कर प्रकाशोत्सव मनाया। २-बौद्धग्रन्थ मज्झिमनिकाय (३-१-४) में यह उल्लेख है कि जिस समय भगवान्
बुद्ध शाक्यदेशके 'साम' ग्राममें विहार कर रहे थे उस समय 'निगंठ-नातपुत्त' अभी अभी
पावामें मरे थे । ३–बौद्धग्रन्थ अट्ठकथासे भी इस बातकी पुष्टि होती है कि मरनेके समय भगवान् महावीर
नालन्दासे पावा चले आये थे । ऊपरके वर्णनोंसे नीचे लिखे निष्कर्ष निकलते हैं१-जिस पावामें भगवान् महावीरका निर्वाण हुआ वह मल्लोंकी राजधानी थी। २-उपर्युक्त पावा शाक्यदेशके निकट थी; दूसरे वर्णनसे यह स्पष्ट ध्वनि निकलती है। ३-जिस तरह भगवान् बुद्ध अपने निर्वाणके पूर्व राजगृहसे चलकर कुशीनगर आये उसी
प्रकार भगवान् महावीर भी नालन्दासे पावा पहुंच गये थे । भगवान् बुद्धका कुशीनगरके मल्लों में और भगवान महावीरका पावाके मल्लोंमें बड़ा मान था।
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