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वर्णी-अभिनन्दन-ग्रन्थ
गणित, फलित, आदि ज्योतिष के ग्रन्थोंकी निम्न संक्षिप्त तालिकासे सष्ट है। तथा जिसके आधारपर शोध करके जिज्ञासु स्वयं निर्णय कर सकेंगे कि जैन विद्वानोंने किस प्रकार भारतीय ज्योतिष शास्त्रका सर्वाङ्ग सुन्दर निर्माण, पोषण एवं परिष्कार किया है।
गणित ज्योतिषके ग्रन्थ
१ सूर्यप्रज्ञप्ति मूल प्राकृत, मलयगिरि वृत्ति (संस्कृत टीका) २ चन्द्रप्रज्ञप्ति
___, ३ ज्योतिषकरण्डक मूल प्राकृत, संस्कृत टीका ४ अंगविज्जा और गणिविज्जा (प्राकृत) ५ मण्डल प्रवेश ६ गणितसार संग्रह (संस्कृत)-महावीराचार्य (सन् ८५०) ७ गणितसूत्र (संस्कृत) ८ व्यवहार गणित ( कन्नड़)-राजादित्य (११ वीं सदी) ६ जैन गणित सूत्र (,)- राजादित्य, यह विष्णुवर्द्धनके आश्रित थे । समय ११ वीं सदी है । १० जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति—अमितगति, रचनाकाल सं० १०५० ११ सिद्धान्त शिरोमणि ?—त्रैवेद्य मुनि १२ गणित शास्त्र (संस्कृत) श्रीधराचार्य । १३ सार्धद्वीपद्वय प्रज्ञप्ति (संस्कृत) १४ लीलावती ( कन्नड़)-कविराजकुञ्जर १५ क्षेत्र गणित (कन्नड़) राजादित्य (११ वीं सदी) १६ व्यवहाररत्न (कन्नड़) १७ लीलावती ( अपभ्रंश) लालचन्द्र सं० १७३६ १८ लीलावती (संस्कृत) लाभवर्द्धन १६ गणित शास्त्र (संस्कृत) श्रेष्ठिचन्द्र
२० यन्त्रराज (संस्कृत) महेन्द्रसूरि सं० १४३७ २१ गणितसार (प्राकृत) ठक्कुरफेरू, रचनाकाल-सं०१३७५ के आसपास
२२ जोइससार ( ठक्कुरफेरु ) सं० १३७२ २३ ज्योतिष मण्डल विचार-तपोविजय कुशलसरि सं० १६५२ २४ ज्योतिष सारोद्धार-आनन्दमुनि सं० १७३१ २५ गणित साठसौ-महिमोदय २६ पंचाङ्गानयनविधि-महि० रचनाकाल सं० १७२३ २७ नवग्रह गणित-पञ्चाङ्ग,गणित सहित (तेलगू) २८ गणित संग्रह-एलाचार्य
२६ छत्तीसुपूर्वप्रति उत्तर-प्रतिसह-महावीराचार्य ३० अष्टकवर्ग-सिद्धसेन ३१ अलौकिक गणित-देहली के पंचायती मन्दिरके भण्डारमें है ३२ भ्रमण सारिणी दे० पं० मं०
३३ अणुजातक ३४ पञ्चाङ्ग विचार ,
३५ चन्द्रार्को पद्धत्ति . ३६ ज्योतिप्रकाश दिल्ली के धर्मपुरा मन्दिर भण्डार है। ३७ तिथि सारणी-पार्श्वचन्द्रगच्छी बाघजी
-मुनि सं० १७८३ ३८ ज्योतिषसार संग्रह-कवि रत्नभानु-अमर ग्रन्थालय तुकोगंज इन्दौर ।
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