________________
स्वर्गीय पं० शिवदर्शनलाल वाजपेयी
महोदयका कोई दोष नहीं था । संकल्पित द्रव्यमें से इन्हे कुछ और दे देते तो नर्तकियोंके हिसाबमें कमी पड़ जाती। तपस्वी ब्राह्मण चल दिया। अश्रद्धासे दिये गये उन पांच रुपयेसे उनके मनमें आत्मग्लानि उत्पन्न हो गयी । बाहर एक निर्मल जल कूप दीख पड़ा तो किनारे पर बैठ गये । कण्ठ तक मध्यमा और तर्जनीके द्वारा वमन करना प्रारम्भ किया। तब तक समाप्त न किया जब तक विश्वास नहो गया कि अब उस ग्रामका जल कण भी उदरमें नहीं रहा । कुल्ला किया, कुछ गायत्री मंत्र भी जप किया और तब चले। विद्वद्भक्ति
एक बार प्रधान प्राचार्य के यहांसे धीमर चला गया जो चौकाबर्तन आदि किया करता था । उन्होंने मंत्रीजी यानी पाजपेयीजी से कहा कि धीमरका प्रबन्ध कर दीजिये। धीमर मिल न सका पर चौका बर्तन उसी क्रमसे ठीक मिलता रहा अतः प्रधानाध्यापकने भी फिर इधर ध्यान ही नहीं दिया । इस प्रकार एक महिना बीत गया। एक दिन एक शास्त्रीका विद्यार्थी प्रातः पढ़नेको उठा। उसने किसीकोअंधेरेमें चौका करके बर्तन मलते देखा । वह आया तो दृश्य देखकर सन्न रह गया। स्वयं वाजपेयीजी बर्तन मल रहे थे । वह विद्यार्थी जब तक प्रधानाध्यापकको बताने गया, तब तक आप बर्तन ढंगसे रखकर चले जा चुके थे।
एक बार बस्ती में महामारीका प्रकोप हुआ। आप सेवा समितिके भी सदस्य थे। पक्के सनातनी होने पर भी मृत अछूतोंके शव यमुना घाट भेजने और अनाथ रुग्णोंकी चिकित्साका प्रबन्ध करनेमें संलग्न रहे जब कि घर पर एक मात्र पुत्र शिवाधर रोग शैयाका सेवन कर रहा था । पड़ोसियों ने कहापहिले घर फिर बाहर । आप पुत्रकी देख रेख नहीं करते । आपने उत्तर दिया-जो सबकी देख रेख करता है वह उसकी भी करेगा। अनेकके समक्ष एकका उतना महत्त्व नहीं । पड़ोसियोंने कुछ न कहा । मन ही मन प्रणाम किया और वही लोग शिवाधरजी की सुश्रूषा करने लगे। औचित्य पालन
मैं पहिले ही कह चुका हूं कि विद्यालय प्राचीन तपोवनोंका प्रतीक है। अतः वहां द्रुम, ललित लताएं, गुरुतम गुल्म एवं वनस्पतियोंका होना स्वाभाविक ही है और काशीफल कूष्माण्ड तो सर्वत्र ही सुलभ है। एक दिन शिवाधरजी एक लौकी लेकर घर आये। पिताजीने पूछा-बेटा यह कहां से लाये । उन्होंने उत्तर दिया-मैं विद्यालय गया था तो गुरुजीने दी है ।
___ वाजपेयीजीने कहा-बेटा विद्यालयको तो देना ही चाहिये उससे लेना ठीक नहीं, जानो अभी दे आयो और गुरुजीके चरण छूकर क्षमा मांगो और साथ ही प्रतिज्ञा करो कि अब ऐसा न करूंगा । बेचारे बालकको ऐसा ही करने पर छुटकारा मिला । अपरिग्रह
वाजपेयीजी ने अपनी भूमि विद्यालयको दान कर दी । अपनी दुकानको चौपट कर दिया और