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वर्णी-अभिनन्दन-ग्रन्थ
उत्तरमें पांच छह बरसकी नंग-धडंग लड़की आ खड़ी हुई । मैंने कहा, "तुम्हारी मां कहां है?"
इतने में उसकी मां भीतर निकल कर आयी। उसका चेहरा उतरा हुआ था। झुझलाहटके साथ मैंने कहा, “तुमने उसे भेजा नहीं ?" मेरे इस प्रश्नका क्षण भर वह कोई उत्तर न दे सकी।
मैंने फिर कहा, “डाक्टर तुम्हारे सामने ही तो कह गये थे कि अस्पताल में भरती कर लेंगे, फिर भेजनेमें तुम पर क्या बोझ पड़ा।"
स्त्रीने अब होठ खोले । बोली, “भेजती किसे ? वे तो उसी रातको उठ गये।"
उसका प्रत्येक शब्द मेरे हृदयको बेधता हुआ पार निकल गया । गर्दन झुकाये मैं चुपचाप वहांसे चला आया।
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