Book Title: Varni Abhinandan Granth
Author(s): Khushalchandra Gorawala
Publisher: Varni Hirak Jayanti Mahotsav Samiti

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Page 681
________________ वर्णी-अभिनन्दन-ग्रन्थ पड़ता है । इस कुलमें जेजाक या 'जयशक्ति' नामका एक प्रतापी राजा हा वह सम्भवतः विक्रमकी दसवों शताब्दीके अन्तमें रहा बताते हैं । उसीके नाम पर यह प्रदेश कुछ काल तक 'जेजाक भुक्ति' (या जीजाक भुक्ति या जेजा-मुक्ति ) कहलाता रहा। जुझौती और जुझारखण्ड इन्हीं नामोंके अपभ्रंश है । ये सब नाम अपेक्षाकृत अर्वाचीन हैं। महाभारत से जिन नामोंका सम्बन्ध वे केवल दशार्ण और चेदि हैं । दशार्ण इस प्रदेशमें बहनेवाली एक नदीका नाम भी है । आजकल वह "धसान" कहलाती है । कात्यायन, कौटिल्य, कालिदास, और उससे भी पूर्व महाभारतमें इस देशका वर्णन आया है। "प्रबत्सतर कम्बलवसनार्ण दशानामृणे" "दशाों देशः च दशार्णा" यह वातिक सिद्धान्तकौमुदीमें कात्यायनके नाम से लिखा है। अर्थशास्त्र में भी कौटिल्यने "दशाभवापराजित" कहकर बुन्देलखण्डमें पैदा होने वाले हाथियोंको उत्तम कहा है ।” दमयन्ती जब नलसे बिछुड़ कर चेदिके मार्गपर जा रही थी तब उसके साथके काफलेको हाथियोंने मार डाला था। महाभारतमें केवल वेत्रवती ( वेतवा ) और शुक्तिमती ( केन ) के बीचका प्रदेश दशोण कहा गया है । समूचे प्रदेशको कभी दशाणं नहीं कहा गया परन्तु श्री पं० गोविन्दराय जैनने इस नामकी एक नयी व्युत्पत्ति खोज निकाली है। दशाणं का अर्थ है दश जल । अण जल को कहते हैं । जिस प्रकार पांच नदियोंका प्रदेश होनेके कारण भारतका एक पश्चिमोत्तर भूभाग पंजाब कहलाया उसी प्रकार दस नदिपोंका देश होनेके कारण बुन्देलखण्ड भी दशार्ण कहा जा सकता है ! उन दस नदियोंके नाम ये है–धसान (दशार्ण), पार्वती, सिन्ध, बेतवा (वेत्रवती), चम्बल ( चर्मण्वती) जमना ( यमुना ), नर्मदा (रेवा ), केन (शुक्तिमती) टोंस ( तमसा ) और जामनेर है। इतिहास इस व्युत्पत्तिका समर्थन नहीं करता। महाभारत कालमें जिस प्रकार एक भागका नाम दशाण था उसी प्रकार दूसरे भागका नाम 'चेदि" भी था। राजा विदर्भके पोते चिदि के नामसे चर्मण्वती और शुक्तिमती के बीचका यमुनाके दक्खिनी कांठेका प्राचीन भारतीय प्रदेश चेदि कहलाने लगा। वही आज कलका बुन्देलखण्ड है। राजा विदर्भ यदुवंशी थे । वे प्रतापी परावृटके पड़ोते थे जो पुरूरवाके पौत्र नहुषके पुत्र ययतिसे लगभग ३० पीढ़ी बाद हुए अर्थात् ३६ वीं पीढ़ीमें । पुरूरवा, नहुष और ययाति वैदिक साहित्य के सुप्रसिद्ध चन्द्रवंशी राजा हैं। चन्द्रवंशी आर्य भारतमें सूर्यवंशी आर्यों के बाद आये थे और प्रतिष्ठान इनकी राजधानी थी। ययातिके पांच पुत्रोंमें पुरु जो सबसे छोटा (४) बुन्देलखण्डका सक्षिप्त इतिहास, गोरेलाल तिवारी, पृष्ट ४२. (५) मधुकर, बुन्देलखण्ड प्रान्त निर्माण अंक, पृष्ट २६५ (६) मधुकर, प्रान्त निर्माण अकं, पृष्ठ २६५. (७) भारतीय इतिहासकी रूपरेखा, पृष्ठ १८० ५९४

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