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भारतीय गणितके इतिहासके जैन-स्रोत
सीमित क्षेत्रका क्षेत्रफल उस समवलम्ब के बराबर होता है जिसकी समानान्तरभुजाएं दोनों वृत्तोंके चापके बराबर होती हैं तथा ऊंचाई दोनों वृत्तोंके त्रिज्यों के अन्तरालके बराबर होती है।
(आकृति ११)
(आकृति १२)
आयतन
७परिभाषा--समकोण षडप.लकका श्रायतन उसकी लम्बाई चोड़ाई तथा मोट ईका उत्तरोत्तर गुणा करनेसे आता है।
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(अाकृति १३)
(आकृति १४) ८--षडफलकका आयतन इसके आधारके वर्गमें ऊंच ईका गुण। करनेपर आता है।
रचना--प्राकृतिके संकेतानमार द म सं फं फ ए एंभागको काटकर दूसरी ओर ले जाने पर समानातर षड्फलक समकोण--समानान्तर षड्फलक हो जाता है। आकृतिमें दो फलक समकोणीय और
और दो धरातलीय हैं । अगर ये समकोणीय न होते तो ऊपरकी एक पुनरावृत्ति करनेसे समानान्तर षड्फलक; समकोण समानान्तर षडफलक हो जायगा।
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