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वर्णी- अभिनन्दन ग्रन्थ
यशोवर्मन- -यह हर्षका ही पुत्र था, कहीं कहीं इसे लक्षणवर्मन भी कहा है, यह अपने पिता के समान ही शक्तिशाली तथा प्रतापी हुआ । यह अपने वंशका सातवां राजा था और ६३० ई० में सिंहासनारूड़ हुश्रा । यह बड़ा ही महत्त्वाकांक्षी तथा युद्ध प्रिय था । उसने चेदिके कलचुरियोंको हराकर कालिंजर जीत लिया और अपने राज्य में मिला दिया । कन्नौज के शासकका भी मानमर्दन किया तथा नर्मदा से लेकर हिमालय तक अपना आतंक जमाया ।
धंग --यह इस वंशका सबसे विख्यात राजा हुया । यह यशोवर्मनका पुत्र था । धंग शब्दका अर्थ है बड़ा काला भौंरा, संभव है, यह नाम इसे किसी गुण विशेषके कारण ही दिया गया हो। इसने अपने राज्य को पूर्वमें कालिंजरसे लेकर पश्चिममें ग्वालियर तक और दक्षिण में वेतवासे लेकर उत्तर में यमुना तक फैलाया । यह वही सुप्रख्यात धंग था जिसने गजनी के सुलतान सुबुक्तगीनका मुकाबला करनेको पंजाब के राजा जयपालको सहायता दी थी। इसने गुर्जर प्रतिहारोंसे अपने राज्यको पूर्णरूप से स्वतंत्र कर लिया | यह सौ वर्षसे भी अधिक जीवित रहा, और गङ्गा यमुनाके किनारे जाकर अपना शरीर त्याग किया ।
गंड- यह बंगका पुत्र था और अपने पिता के समान ही प्रतापी हुआ। गंड शब्दका अर्थ है वीर ! इसके वीर होने में कोई सन्देह नहीं था । इसने लाहौर के राजा जयपाल के पुत्र नन्दपाल की महमूद गजनवी के विरुद्ध सहायता की परन्तु भाग्यने साथ न दिया ।
विद्याधर- इसे वीदा भी कहा गया । यह गंडका पुत्र था । यह भी अपने पूर्वजोंके समान ही प्रतापी तथा शक्तिशाली हुआ । कन्नौज के राजा राज्यपालने महमूद गजनवीकी पराधीनता मानकर जो आत्मग्लानि उठायी थी वह इससे न देखी गयी । उसने राज्यपाल को प्राणदंड दे महमूदको चुनौती दी और उसे दो बार हराया । अन्त में कालिजरके स्थान पर दोनों में सुलह हो गयी । वीदाने कहा जाता है, भाषा में एक कविता लिखकर महमूद के पास भिजवायी थी । उसे महमूदने बहुत पसन्द किया तथा फारस के विद्वानों को दिखाया | वीदाको बधाई भेजी तथा १५ दुगको शासन भी उसे सौंप दिया । भाषा ( हिंदी ) की कविता के विषय में मुसलमानी पुस्तकों में यह सबसे पुराना उल्लेख है ।
इन शासकोंकी देख-रेख में खजुराहाने जो गौरव तथा वैभव प्राप्त किया वह बुन्देलखंड की किसी भी रियासत की राजधानीको प्राप्त नहीं । प्राचीन शिलालेखों में इसका नाम खर्जूरपूर या खर्जूर वाहक मिलता है । कहा जाता है कि इसके सिंहद्वार पर खजूर के दो स्वर्ण वृक्ष बनाये गये थे और इसी कारण इसका नाम खर्जूरपुर या खर्जूर वाहक पड़ा था । यह भी अनुमान किया जाता है कि यहां खजूर वृक्षकी पैदावार अधिक रही होगी ।
इसका प्राचीनतम उल्लेख ग्रीक विद्वान टालमीके भारतके भूगोल वर्णन में मिलता है। उसने बुन्देल खंडकावर्णन सुन्दरावतीके नामसे किया है और टेमसिस, कुर्सीनिया यमप्लेटरा तथा नबुनन्द नगर, इत्यादि
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