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जैन साहित्य और कहानी चार भागोंमें विभक्त हैं । इनमें चूर्णि और टीका साहित्य भारतके प्राचीन कथा-साहित्यकी दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वका है, जिसमें श्रावश्यकचूर्णि और उतराध्ययन टीका तो कथाओंका वृहत्कोष है । आगम साहित्यके अतिरिक्त जैन साहित्यमें पुराण, चरित, चम्पू , प्रबंध आदिके रूपमें प्राकृत, संकृत अपभ्रंशके अनेक ग्रन्थ मौजूद हैं, जिनमें छोटी-बड़ी अनेक कथा-कहानियां हैं ।
___ यहां यह कह देना अनुचित न हो गा कि पालि-प्राकृत साहित्यकी अनेक लौकिक कथाएं कुछ रूपान्तरके साथ देश-विदेशोंमें भी प्रचलित हैं। ये कथाएं भारतवर्ष में पंचतंत्र, हितोपदेश, कथासरित्सागर, शुकसप्तति, सिंहासनद्वात्रिंशिका, बेतालपंचविंशतिका श्रादि ग्रन्थों में पायी जाती हैं, तथा 'ईसपकी कहानियां, 'अरेबियन नाइट्सकी कहानियाँ, 'कलेला दमनाकी कहानी' श्रादि के रूपमें ग्रीस, रोम, अरब, फारस, अफ्रिका आदि सुदूर देशोंमें भी पहुंची हैं। इन कथाओंका उद्गम स्थान अधिकतर भारतवर्ष माना जाता है, यद्यपि समय समयपर अन्य देशोंसे भी देश-विदेशके यात्री बहुत-सी कहानियां अपने साथ यहां लाये ।
यहां लेखककी 'भारतकी प्राचीन कथा-कहानियां' नामक पुस्तकमेंसे दो कहानियां दी जाती हैं । कहानियोंको पढ़कर उनके महत्वका पता लगे गा। कार्य सच्ची उपासना
किसी सेठका पुत्र धन कमानेके लिए परदेश गया और अपनी जवान पत्नीको अपने पिताके पास छोड़ गया । सेठकी पतोहू बहुत शौकीन स्वभावकी थी । वह अच्छा भोजन करती, पान खाती, इतर-फुलेल लगाती, सुंदर वस्त्राभूषण पहनती, और दिनभर यों ही विता देती । घरके काममें उसका मन जरा भी न लगता । उसको अपने पतिकी बहुत याद अाती, परन्तु वह क्या कर सकती थी ! एक दिन सेठको पतोहूका मन बहुत चंचल हो उठा। उसने दासीको बुलाकर कहा 'दासी ! किसी पुरुषको बुलायो । किसीको जानती हो ?' दासीने कहा 'देखूगी।
दासीने श्राकर सब हाल सेठजीसे कहा। सेठजी बहुत चिन्तित हुए और सोचने लगे कि बहूकी रक्षाके लिए शीघ्र ही कोई उपाय करना चाहिये, अन्यथा वह हाथसे निकल जाय गी ! उन्होंने तुरत सेठानीको बुलाया और कहा "देखो सेठानी ! हम तुम दोनों लड़ाई कर लें गे, और मैं तुम्हें मार कर निकाल दूं गा । तुम थोड़े समयके लिए किसी दूसरेके घर में जाकर रह जाना । अन्यथा अपनी बहू अपने हाथसे निकल जाय गी। सेठानीने अपने पतिकी बात मान ली। अगले दिन सेठ घर
आया और सेठानीसे भोजन मांगा । सेठानीने चिल्लाकर कहा "अभी भोजन तैयार नहीं है। बस दोनोंमें झगड़ा होने लगा । सेठको क्रोध आगया और उसने सेठानीको मार-पीटकर घरसे निकाल दिया । सास और ससुरको कलह सुनकर उसकी पतोहू घरसे निकल कर आ गयी और पूंछने लगी "पिताजी ! क्या बात हुई ?" सेठने कहा-'बेटी ! आजसे मैंने तुझे अपने घरकी मालकिन बना