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वर्णी-अभिनन्दन-ग्रन्थ
गणनायक, दण्डनायक तथा तलवार आदिके उल्लेख सूचित करते हैं कि सूत्र ई० सन् के बादका है । ऐसा लगता है कि श्वेताम्बर जैन लेखक बौद्ध तथा ब्राह्मण लेखकोंको परास्त करने के लिए कटिबद्ध थे; भ०महावीरके शरीर-वर्णनके प्रकरणसे ऐसा लक्षित होता है। जहां बौद्ध बुद्धके शारीरिक लक्षणोंकी सख्या २२ बताते हैं वहीं यह सूत्र ८००० कहता है । तथापि कुछ ऐसे प्राचीनतर उल्लेख हैं जो पाली सन्दर्भोको स्पष्ट कर देते हैं; उदाहरणार्थ बौद्ध निकायोंमें 'इतिहास पञ्चम' के पूर्व आया अथर्ववेदका उल्लेख, यद्यपि दव्व (द्रव्य ) खेत (क्षेत्र ), काल, लोय ( लोक ) अलोय (अलोक ), जीव, अजीव, बन्ध, मोक्ष, आदिके विवेचन प्रारम्भिक कोटिके ही हैं।