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वर्णी-अभिनन्दन-ग्रन्थं
वर्णन लिखने का काम करें उनको सफलता प्राप्त करने के लिए उन मानचित्रोंको जो प्राप्य है बुद्धिमानी के साथ काममें लाना चाहिये; आसपासके स्थानोंका हाल साफ साफ लिखना चाहिये, हरएक चीज का नाम ठीक ठीक लिखना चाहिये और खूब फोटो लेने चाहिये । चाहे भूमि खनन का काम न भी किया जाय तो भी ऐसे निरीक्षणों से जैनधर्म के इतिहास पर और विशेष कर इस बात पर कि जैनधर्मका विध्वंस उन देशों में कैसे हुआ जहां उसके किसी समय बहुसंख्याक अनुयायी थे, बहुत प्रकाश पड़ेगा | ग्रंथावलि --
मैं सब जिज्ञासुत्रों से अनुरोध करता हूं कि वे श्रो० गुरिनौके महान् ग्रन्थ " जैन ग्रन्थावलिके विषय में निबंध" को पढ़ें । यह ग्रन्थ पेरिस में सन् १९०६ ईसवी में छपा था। इस ग्रन्थका एक परिशिष्ट " जैन ग्रन्थावली पर टिप्पणियां " भी जुलाई-अगस्त सन् १९०९ के एशियाटिक जरनल में निकल चुका है । सन् १९०९ ईसवी तक जैनधर्मके विषय में पुस्तकों, समाचारपत्रों इत्यादि में जो कुछ किसी भी भाषा में छप चुका है उन सबका परिचय उन ग्रंथों में दिया गया है। ये ग्रंथ फ्रेंच भाषाओं में हैं परन्तु जो मनुष्य फ्रेंच भाषा नहीं जानता वह भी इन पुस्तकों से लाभ उठा सकता है ।
खनन कार्य --
महल इत्यादिकी खोज के लिए जमीनको खोदनेका काम ज्यादा मुश्किल है और यह काम यदि विस्तार के साथ किया जाय, तो पुरातत्त्व विभागके डाइरेक्टर जनरल या किसी प्रांतीय अधीकारी की सम्मतिसे होना चाहिये | बुरे प्रकार से और लापरवाही के साथ खुदायी करनेसे बहुत हानी हो चुकी है। मैं ऊपर कह आया हूं कि मथुराके बहुमूल्य जैनस्तूपका किस तरह सत्यानाश हो गया और उसकी खुदायीके संबंधकी जरूरी बातें फोटो, इत्यादि भी नहीं रक्खे गये। यह जरूरी है कि खुदायी का काम होते समय जरा जरा सी बातोंको भी लिखते जाना चाहिए जो चीज जिस जगह पर मिले उस स्थानको ठीक ठीक लिख लेना चाहिये, और शिलालेखों पर कागज चिपकाकर उनकी नकल उतार लेनी चाहिये | खुदायीके काममें प्रवीण निरीक्षककी आवश्यकता है ।
कार्यारम्भ प्रकार-
अन्तमें मैं यह प्रस्ताव करता हूं कि जैनोंको एक पुरातत्त्व संबंधी समिति स्थापित करनी चाहिए जो ऊपर कहे हुए मार्ग के अनुसार ऐतिहासिक खोजका कार्यक्रम तैयार करे और आवश्यकतानुसार धन इकट्ठा करे । धनकी मात्रा बहुत होनी चाहिये । यदि कोई जैन कार्यकर्ता, जो पर्याप्त योग्यता रखता हो और जिसे जैन समाजसे वेतन मिलता हो सरकारी पुरातत्व विभाग ( Archaeological survey ) में उसकी सेवाएं समर्पित कर दी जाय, तो वह बहुत काम कर सकता है यह और भी अच्छा होगा कि ऐसे कई कार्यकर्ता सरकारी अधिकारियोंके निरीक्षण में काम करें ।
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