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वर्णी-अभिनन्दन-ग्रन्थ
श्रादिनाथ एवं पार्श्वनाथ बसदि और दक्षिण पार्श्वकी उत्तर दिशामें पार्श्वनाथ और आदिनाथ देवालय हैं । इसी हिरियंगडिके हातेके भीतर बायीं ओर दक्षिण दिशामें आदिनाथ, अनन्तनाथ तथा धर्म-शान्तिकुंथु तीर्थंकरोंके तीन मंदिर हैं । इस अन्तिम मंदिरके बगलमें एक निषीधिका बनी हुई है, जिसमें कमशः निम्नलिखित व्यक्तियोंकी मूर्तियां और नाम अंकित है-१, कुमुदचन्द्र भ० २, हेमचन्द्र भ. ३, चारुकीर्ति पण्डितदेव ४, श्रुतमुनि ५, धर्मभूषण भ० ६, पूज्यपाद स्वामी। नीचेकी पंक्तिमें क्रमशः १, विमलसूरि भ० २, श्रीकीर्ति भ० ३, सिद्धान्तदेव, ४, चारुकीर्तिदेव ५, महाकीर्ति महेन्द्र कीर्ति । इस प्रकार उक्त इन व्यक्तियोंकी मूर्तियां छह छहके हिसाबसे तीन-तीन युगलरूपमें बारह मूर्तियां खुदो हैं । हिरियंगडिका विशाल एवं उन्नत मानस्तंभ बहुत ही सुन्दर है। यह मानस्तंभ नेमिनाथ भगवान्के विशाल एवं भव्य मन्दिरके सामने स्थित है।
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