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पौराणिक जैन इतिहास
थानेश्वर के पास था । प्राचीन भारतमें दो राजा थे. उनमें सतत युद्ध हुआ था। पहिले यह निश्चय हुआ कि कुछ विशिष्ट पुरुष लड़ें और उसपरसे जय-पराजयका निश्चय हो किन्तु जनता नहीं मानी। दो में से एक राजाने युक्ति निकाली और एक ब्राह्मणसे धार्मिक पुस्तक लिखाकर गुफामें रख दी। फिर घोषित किया कि उसे स्वप्न में एक पुस्तक दिखी है । इसपर सब लोग गुफामें गये और एक पुस्तक वहां पायी । पुस्तक पढ़कर लोगोंको विश्वास हो गया कि युद्ध में मरनेसे स्वर्ग मिलता है। लोग लड़नेके लिए प्रस्तुत हुए । भीषण युद्ध हुआ और भूमि शवोंसे पट गयी । तभीसे उस स्थान पर अस्थिपंजरोंकी बहुलता है।" इस प्रकार स्पष्ट है कि जैन कथा साहित्य प्राचीन इतिहाससे भरा पड़ा है। केवल एक 'पार्जीटर' की पतीक्षा है।
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