________________
पत्र ४०६, ४०७] विविध पत्र मादि संग्रह-२७वाँ वर्ष
३६९ नित्य प्रति निरंतर स्तवन करनेसे भी आत्म-स्वभाव प्रगटित होता है। ऐसे सब सत्पुरुष और उनके चरणारविंद सदा ही हृदयमें स्थापित रहो।
जिसके.वचन अंगीकार करनेपर, छह पदोंसे सिद्ध ऐसा आत्मस्वरूप सहजमें ही प्रगटित होता है, जिस आत्म-स्वरूपके प्रगट होनेसे सर्वकालमें जीव संपूर्ण आनंदको प्राप्त होकर निर्भय हो जाता है, उस वचनके कहनेवाले ऐसे सत्पुरुषके गुणोंकी व्याख्या करनेकी हममें असामर्थ्य ही है। क्योंकि जिसका कोई भी प्रत्युपकार नहीं हो सकता ऐसे परमात्मभावको, उसने किसी भी इच्छाके बिना, केवल निष्कारण करुणासे ही प्रदान किया है। तथा ऐसा होनेपर भी जिसने दूसरे जीवको यह मेरा शिष्य है, अथवा मेरी भक्ति करनेवाला है, इसलिये मेरा है' इस तरह कभी भी नहीं देखा-ऐसे सत्पुरुषको अत्यंत भक्तिसे फिर फिरसे नमस्कार हो!
जिन सत्पुरुषोंने जो सद्गुरुकी भक्ति निरूपण की है, वह भक्ति केवल शिष्यके कल्याणके लिये ही कही है । जिस भक्तिके प्राप्त होनेसे सद्गुरुकी आत्माकी चेष्टामें वृत्ति रहे, अपूर्ण गुण दृष्टिगोचर होकर अन्य स्वच्छंद दूर हो, और सहजमें आत्म-बोध मिले, यह समझकर जिसने भक्तिका निरूपण किया है, उस भक्तिको और उन सत्पुरुषोंको फिर फिरसे त्रिकाल नमस्कार हो!
___ यद्यपि कभी प्रगटरूपसे वर्तमानमें केवलज्ञानकी उत्पत्ति नहीं हुई, परन्तु जिसके वचनके विचारयोगसे केवलज्ञान शक्तिरूपसे मौजूद है, यह स्पष्ट जान लिया है-इस प्रकार श्रद्धारूपसे केवलज्ञान हुआ है -विचार-दशासे केवलज्ञान हुआ है-इच्छा-दशासे केवलज्ञान हुआ है-मुख्य नयके हेतुसे केवलज्ञान रहता है, जिसके संयोगसे जीव सर्व अव्याबाध सुखके प्रगट करनेवाले उस केवलज्ञानको, सहजमात्रमें पानेके योग्य हुआ है, उस सत्पुरुषके उपकारको सर्वोत्कृष्ट भक्तिसे नमस्कार हो ! नमस्कार हो!!
(२) सम्यग्दर्शनस्वरूप श्रीजिनके उपदेश किये हुए निम्न लिखित छह पदोंका अत्मार्थी जीवको अतिशयरूपसे विचार करना योग्य है।
आत्मा है, क्योंकि वह प्रमाणसे सिद्ध है-यह अस्तिपद । ___ आत्मा नित्य है- यह नित्यपद । आत्माके स्वरूपका किसी भी प्रकारसे उत्पन्न होना और विनाश होना संभव नहीं।
आत्मा कर्मका कर्ता है-यह कर्तापद । आत्मा कर्मका भोक्ता है। उस आत्माकी मुक्ति हो सकती है। जिनसे मोक्ष हो सके ऐसे साधन निश्चित हैं ।
४०७
बम्बई, चैत्र सुदी १९५०
हालमें यहाँ बाह्य उपाधि कुछ कम रहती है। तुम्हारे पत्रमें जो प्रश्न लिखे हैं, उनका समाधान नीचे लिखा है, विचार करना ।