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(७) गोम्मटसार जीवकाण्ड--श्रीनेमिचन्द्राचार्यकृत मूल गाथायें और पं० खूबचन्द्रजी सिद्धान्तशास्त्रीकृत संस्कृतछाया तथा बालबोधिनी भाषाटीका सहित । इसमें गुणस्थानोंका वर्णन, जीवसमास, पर्याप्ति, प्राण, संज्ञा, मार्गणा, उपयोग, अन्तर्भाव, आलाप धादि अनेक अधिकार हैं । सूक्ष्म तत्त्वोंका विवेचन करनेवाला यह अपूर्व ग्रंथ है। दूसरी बार संशोधित होकर छपा है । मूल्य सजिल्दका २०
लब्धिसार-(क्षपणासार गर्भित) श्रीनेमिचन्द्राचार्यकृत मूल गाथायें, और स्त्र० 4. मनोहरलालजी शास्त्रीकृत संस्कृतछाया और हिन्दी भाषाटीका सहित। यह ग्रंथ गोम्मटसारका परिशिष्ट है । इसमें मोक्षके मूलकारण सम्यक्त्वके प्राप्त होनेमें सहायक क्षयोपशम, विशुद्धि, देशना, प्रायोग्य, करण इन पाँच लब्धियोंका वर्णन है। मूल्य सजिल्दका १॥)
द्रव्यानुयोगतर्कणा और समयसार-ये दो ग्रंथ अप्राप्य है । समयसार तो पुनः सुसम्पादित होके छपेगा।
गुजराती ग्रंथ श्रीमदराजचन्द्र--आं पुस्तकमां श्रीमद्राजचन्द्रनी हयातीमां तेओश्रीने जुदे जुदे प्रसंगे मुमुक्षुभाईओ, सज्जनों अने मुनिश्रीओ वगैरे तरफथी भिन्न भिन्न विषयों प्रत्ये पुछेला सवालोना जबाबना पत्रोनासंग्रह, तथा बाल्यावस्थामा रचेला भावनाबांध,मोक्षमाला,आत्मसिद्धि ग्रंथोंनो संग्रह छ, श्रीमद्नी सोळा वर्ष पहेलानी वयथी देहोत्सर्ग पर्यन्तना विचारोना आ भव्य ग्रंथमा संग्रह छ, जैनतत्त्वज्ञानको महान ग्रंथ छे, जैनतत्वज्ञाननो उंडो अभ्यास समजवा माटे आ ग्रंथ खास उपयोगी छे, बीजी आवृत्ति संशोधनपूर्वक बहार पाडी छ. अने तेनी अंदर श्रीमदूना अप्रगट लखाणे पण दाखल करवामां आव्या छे. ग्रंथारंभमां महात्मा गांधीजीए लखेली महत्त्वपूर्ण प्रस्तावना छ । आ पुस्तक सारामां सारा कागळ ऊपर सुप्रसिद्ध निर्णयसागर प्रेसनी अन्दर खास तैयार करावेला देवनागरीमा छपायुं छे. सुन्दर बाईडिंगथी सुशोभित छे. दरेक प्रन्यभण्डार लाईब्रेरीमा राखवा योग्य छे, तेमज साधु, साध्वी, श्रावक, श्राविकाओने खास वाँच लायक अने मनन करवा योग्य आ महान ग्रन्थ छ, रॉयल चार पेजी साइजना ८२५ पृष्ठवाला दळदार प्रन्थना मूल्य फक्त ५पाँच रुपया, लागतमात्र थी अर्धा राखेला छ। ५चित्र छ।
भावनाबोध-आ ग्रंथना कर्ता उक्त महापुरुष छे, वैराग्य ए आ ग्रंथनो मुख्य विषय छ, पात्रता पामवानुं अने कषायमल दूर करवान आ ग्रंथमा उत्तम साधन छे, आत्मगवेषीओने आ ग्रंथ आनंदोल्लास आपनार छे, आ ग्रंथनी पण आ त्रीजी आवृति छ, आ बन्ने ग्रंथों खास करीने प्रभावना करवा सारू अने पाठशाला, ज्ञानशाला, तेमज स्कूलोमां विद्यार्थियोने विद्याभ्यास अने प्रभावना करवामाटे अति उत्तम ग्रन्थ छे, अने तेथी सर्व कोई लाभ लई सके, ते माटे गुजराती भाषामां अने बालबोध टाईपमां छपावेलं छे । मूल्य सजिल्दनुं फक्त चार आना।
रिपोर्ट-प. प्र. मं. नी. सं. १९७३ थी. सं. १९९० सुधीनो रिपोर्ट अने महात्मा गांधीने लखेली श्रीमद् राजचन्द्र ग्रंथनी गुजराती और हिन्दी प्रस्तावना मफत मळशे जे भाईओने जोइये, ते मंगावी लेशो ।