Book Title: Shrimad Rajchandra Vachnamrut in Hindi
Author(s): Shrimad Rajchandra, 
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 974
________________ ... . .. निवेदन स्वाति (मी.) मनीवर, श्रीसमन्तभद्राचार्य श्रीनेमिचन्द्राचार्य, श्रीकालहस्वामी, श्रीशुभच-. न्द्राचार्य, श्रीअमृतचन्द्रसूरि, श्रीहरिभद्रसरि, श्रीहेमचन्द्राचार्य, श्रीयशोविजय बादि महान् भाचायोंके रचे हुए अतिशय उपयोगी और अलभ्य जैनतत्व प्रन्योंका सर्वसाधारणमें मुलभ , मूल्यमें प्रचार करनेके लिये श्रीपरमातमभावकमंडलकी स्थापना की थी, जिसके द्वारा उक्त कविराजके स्मरणार्थ श्रीरायचजैनवासमाला 30 वर्षांसे निकल रही है। इस ग्रंथमालामें ऐसे अनेक प्राचीन जैन-ग्रंथ राष्ट्रभाषा हिन्दी टीकासहित प्रकट हुये है, जो तत्त्वज्ञानाभिलाषी भव्यजीवोंको आनंदित कर रहे हैं।..... . ___ उभय पक्षके महात्माओद्वारा प्रणीत सर्वसाधारणोपयोगी उत्तमोत्तम प्रन्योंके अभिप्राय विज्ञ पाठकोंको विदित हों, इसके लिये इस शास्त्रमालाकी योजना की गई है। इसीलिये भारमकल्याणके इछुक भव्य जीवोंसे निवेदन है कि इस पवित्र शास्त्रमालाके प्रन्योंके ग्राहक सरस्वतीभण्डार, सभा और पाठशालाओंमें इनका संग्रह अवश्य करें / जैनधर्म और जैनतत्वज्ञानके प्रसारसे बढ़कर दूसरा और कोई पुण्यकार्य प्रभावनाका नहीं हो सकता, इसलिए अधिकसे अधिक द्रव्यसे सहायता कर पाठक मी इस महत्कार्यमें हमारा हाथ बटावें / पाठकगण जितने अधिक प्रन्थ खरीदकर हमारी सहायता करेंगे, उतने ही अधिक प्रन्थ प्रकाशित होंगे। - इस शानमालाकी प्रशंसा मुनियों, विद्वानों तथा पत्रसंपादकोंने तथा पाश्चात्य विदेशी विद्वानोंने मुक्तकंठसे की है / यह संस्था. किसी स्वार्थ-साधन लिये नहीं है, केवल परोपकारके वास्ते है / जो द्रव्य जाता है, वह इसी शाखमालामें उत्तमोत्तम ग्रन्थोंके उद्धारके काममें लगा दिया जाता है। हमारे सभी प्रन्थ बनी शुद्धता और सुन्दरतापूर्वक अपने विषयके दानोंडारा हिन्दी ठीका करवाके अच्छे कागज़पर छपाये गये है। मूल्य भी अपेक्षाकृत कम अर्थात् लामतके लगभग रखा जाता है। उत्तमताका यही सबसे बड़ा प्रमाण है कि कई प्रन्योंके तीन तीन चार चार संस्करण हो गये हैं / भविष्य में श्रीउमास्वामी, श्रीमहाकलंकदेव, स्वामी समन्तभन, बीसिबसनदिवाकरके ग्रंथ निकलेंगे। कई ग्रंथोंका उचमतापूर्वक सम्पादन हो रहा है। .:: नारायचन्दजैनशाखमालाके अन्य को गानेवालोंको और प्रचार करनेवालेको बात किफायतसे भेजे जाते हैं। इसके लिए वे हमसे मनायवशर करें। :: : सहायता बने और प्रयाक मिलनेका पता- .. निवेदक-ऑ० व्यवस्थापक श्रीपरमझुतप्रभावकमंडल (श्रीरामचन्द्रजैतमानमाला) बाराकुवा, जौहरीबाजार न्यू मागत विग प्रेम, वाली, विषयाक, निक : :. .

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