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... श्रीमद् राजचन्द्र
[६९४, ६९५,६९५
(१२) .
२).
मोक्षमार्गका अस्तित्व. आप्त.
निर्जरा.
आगमः
बंध.
प्रमाण. नय. अनेकांत.
संयम.
.
गुरु.
.
लोक.
धर्म. धर्मकी योग्यता. कर्म. जीव. अंजीव. ..
मोक्ष. ज्ञान. दर्शन. चारित्र.
तप. ... - द्रव्य.
अलोक. अहिंसा.
वर्तमानकाल. गुणस्थान. द्रव्यानुयोग, करणानुयोग. 'चरणानुयोग. धर्मकथानुयोग.
सत्य.
..
..
पुण्य. पाप.
. गुण. पर्याय. संसार.
असत्य, ब्रह्मचर्य. .
अपरिग्रह.
मुनित्व. गृहधर्म.
आश्रव.
आज्ञा.
संवर.
एकेन्द्रियका अस्तित्व. व्यवहार.
परिषह. ...... उपसर्ग.
६९५.
ॐ नमः मूल द्रव्य शाश्वत है. मूल द्रव्यः-जीव अजीव. पर्याय अशाश्वत है. अनादि नित्य पर्यायः—मेरू आदि.
- नमो जिणाणं जिदभवाणं ..
जिनतत्त्व-संक्षेप आकाश अनंत है । उसमें जड़ चेतनात्मक विश्व सन्निविष्ट है। विश्वकी मर्यादा दो अमूर्त द्रव्योंसे है, जिन्हें धर्मास्तिकाय और अधर्मास्तिकाय कहते हैं । जीव और परमाणु-पुद्गल ये दो द्रव्य सक्रिय हैं । सब द्रव्य द्रव्यरूपसे शाश्वत हैं । .. जीव अनंत हैं। परमाणु-पुदल अनंतानंत हैं। .. धर्मास्तिकाय एक है । अधर्मास्तिकाय एक है। ...
आकाशास्तिकाय एक है। काल .. द्रव्यः ..है.. प्रत्येक जीव विश्व-प्रमाण क्षेत्रावगाह कर सकता है।