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मान
जीव विकार
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युक्तो
प्रथा जिनं नत्वेत्यनेन शास्त्रस्यादावसाधारणं मङ्गलमभिहितम् । नस्येत्यामिश्रनेक जन्माटवीप्रापणहेतून समस्तमोह रागद्वेषादीन् जयतीसि जिनः । छोरो विक्रान्तः, वीरयते शूरयते विक्रामति कर्मारातीन् विजयत इति वीर :- श्रीषद्ध मान-सन्मतिनाथमहति महावीराभिधानः सनायः परमेश्वरो महादेवाधिदेवः पश्चिमतीर्थनाथ: त्रिभुवनसचराचरद्रव्यगुणपर्यायँक समयपरिच्छित्तिसमर्थ सकलविमल केवलज्ञानदर्शनाभ्यां यस्तं प्रणम्य वक्ष्यामि कथयामीत्यर्थः । कम् ? नियमसारम् । नियमशब्दस्तावद् सम्यदर्शनज्ञानचारित्रेषु वर्तते, नियमसार इत्यनेन शुद्धरत्नत्रयस्वरूपमुक्तम् । किविशिष्टम् ? केवलित केवलिभणितम् - केवलिनः सफलप्रत्यक्षज्ञानधराः श्रुतकेवलिनः सकलद्रव्यश्रुतधरास्तेः केवलिभिः श्रुतकेवलिभिश्च भरिणतं सकलभव्य निकुरम्बहितकरं नियमसाराभिधानं परमागमं वक्ष्यामीति विशिष्टेष्टदेवतास्तवनानन्तरं सूत्रकृता पूर्वसूरिणा कुन्दकुन्दाचार्यदेवगुरुणाप्रतिज्ञातम् । इति सर्वपदानां तात्पर्य्यमुक्तम् ।
टीका- -- श्रथ यहां पर जिन नत्वा' इस पद से शास्त्र को आदि में असाधारण मंगल कहा है ।
'नत्वा' इत्यादि रूप प्रत्येक पदों का अर्थ करते हैं
अनेक जन्मरूपी वन को प्राप्त कराने में कारणभूत, संपूर्ण मोह, राग, द्वेष श्रादि को जो जीतते हैं वे 'जिन' कहलाते हैं । वीर अर्थात् विक्रमणाली, जो वोरता को प्राप्त हैं, शूरता को प्राप्त हैं, पराक्रम करने वाले हैं कर्मशत्रुओं पर विजय प्राप्त करते हैं वे 'वीर' कहलाते हैं। वे वीर भगवान् - श्रीवद्ध मान, सन्मतिनाथ और मतिमहावीर नामों से सनाथ हैं, परमेश्वर महादेवाधिदेव अंतिम तीर्थश्वर हैं और जो तीन लोक के चर-प्रवर, चेतन - श्रचेतन स्वरूप द्रव्य - गुण- पर्यायों से कथित समय ( द्रव्यसमूह ) को जानने में समर्थ सकल विमल केवलज्ञान तथा केवलदर्शन से युक्त हैं मैं उन वीरप्रभु को नमस्कार करके कहता हूँ। क्या कहता हूँ ? नियमसार को कहता हूँ । यहां पर 'नियम' शब्द सम्यग्दर्शन - ज्ञान - चारित्र के अर्थ में विद्यमान है, अर्थात् 'नियमसार' इस पद से शुद्धरत्नत्रय का स्वरूप कहा गया है । वह कैसा है ? केवली और श्रुतकेवली के द्वारा कथित है । अर्थात् संपूर्णतया प्रत्यक्ष - केवलज्ञान को धारण करने वाले 'केवलो' कहलाते हैं और ग्यारह अंग- चौदह पूर्व रूप संपूर्ण द्रव्यश्रुत को धारण व रने वाले श्रुतकेवली कहलाते हैं । इन केवली भार श्रुतकेवलियों के द्वारा कथित समस्त भव्य जीव समुदाय के लिये हितकर 'नियममार' इस नाम वाले