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निश्चय -परमावश्यक अधिकार इति सुकविजनपयोजमित्रपंचेन्द्रियप्रसरजितगात्रमात्रपरिग्रहश्रीपप्रभमलधा. रिदेवविरचितायां नियमसारख्याख्यायां तात्पर्यवृत्तौ निश्चयपरमावश्यकाधिकार एकावशमः श्रुतस्कन्धः । - -
इसप्रकार सुकविजनरूपी कमलों के लिये सूर्य सदृश, पंचेन्द्रिय के प्रसार से रहित गात्रमात्र परिग्रहधारी श्री पद्मप्रभमलधारी देव के द्वारा विरचित नियममार की तात्पर्यवृत्ति नामक टीका में निश्चय परमावश्यक अधिकार नामका ग्यारहवां श्रुतस्कंत्र पूर्ण हुआ ।