Book Title: Niyamsar
Author(s): Kundkundacharya, Gyanmati Mataji
Publisher: Digambar Jain Trilok Shodh Sansthan

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Page 567
________________ | ५२४ } नियमसार प्रन्य का नाम अन्यकर्ता का नाम पृष्ठ मंध्या पंपाचार पराफिनन पुरवी जलं च छाया प्रत्याख्याच भविष्य पंचास्तिकाय वादिराजदेव कुन्दकुन्द अमृतचन्द्र समयसार कलश २५४ वप्रच्छेदात् कलयदतुन बहिरामानरात्मनि ४३३ समयसार कलह मार्गप्रकाश अमृतचन्द्र ४० पात्मानुशासन २३५ भावपामि भवाब भेदविज्ञानतः सिद्धा समयसार कलश गुरगपत अमृतचन्द्र गुगभद्र २०६ अयं माय महागती प्रात्मानुशासन ३२४ मझ पमिगहो जह समयसार अमृतानीति ममगार कलश कुन्दकुन्द योगीन्द्रदेव मुस्खालमत्व. माहदिलामविम्भिन अमृतचन्द्र ४३२ पथावस्तुनिीसि यत्रप्रतिक्रमणमेव पदमासन गृहानि यदि चलति कपंचित् चमनियम नितान्त स्व. संबोधन समयमार कलश समाधिशतक अकलंक अमृतचन्द्र पूज्यपाद योगीन्द्रदेव गुणपद्र २५६ अमृताशोति ४०४ प्रात्मानुशासन १६८ लोयायामपदेशे ट्रव्यसंग्रह नेमिचन्द्र वनचरभवादावन वसुधान्त्य चतु: स्पर्गेषु व्यबहरणनय: स्यात् प्रात्मानुशासन मार्गप्रकाश समयसार कलमा अमृतचन्द्र १४०

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