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शुद्धि-पत्र
प्रष्ट
पृष्ठ
पंबिम
पंभिगम
शुद्ध
गुरुणा प्रति
भाव में स्थित
उत्पन्न
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गुरुणाप्रति में स्थित उत्पन्न जो [ भौमिः । वीतराग य तृण, स्पर्श इदियापारणं भव्य पूर्वा पर मोटे-मोक्ष মযিঃ पवायं ग्रहण शार्दू मसात्वम् कार्यशुद्धिपर्याय भव्यजीर कों से अपने पृषक
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वीतराग तृगास्पर्श इदियए।गणं भव्य : पूर्वापर मोक्षमोक्ष भणि पदार्थ का ग्रहण शार्दूल ! सत्त्वम् कार्य शुद्ध पर्याय भव्यजीव के कर्मों का अपने से पथक .
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खडित रहते हुये वायसुहुमं च सूक्ष्मस्यूझर सम्बंध মাৰি की इच्छुक
संरित रहित हुये बापरसुहमं च सुहमसुहमं च समबंध मादि, के इच्छुक
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