Book Title: Niyamsar
Author(s): Kundkundacharya, Gyanmati Mataji
Publisher: Digambar Jain Trilok Shodh Sansthan

View full book text
Previous | Next

Page 572
________________ शुद्धि-पत्र [ ५२६ पृष्ठ पृष्ठ पंक्ति पंक्ति शुद्ध ३२१ ३२२२० ३२४६ ३२६ मन क्रोध का चिनसंगो क्रोध के चतसंगो हात्र हात्र ३३२ महाकम महाकर्म ३५२ ३५२ Au Xxx समई कनांहा। तिष्ठत्युन्न: समुह कृसांहःतिष्ठत्युचः मफान सकल ३६० संजान शुभ विशा उपाजिम भक्नि भवति संजातमशुभ विशेष से उपाजित भक्तिभवति ३७६ भक्त्या भक्त्या ३९२ दु:खभाद भार नमें भावन में ४०१ ४०१ ४१८ ४२० मावस्यककर्म गुणवर्ती कुनम परोध्ययित्वा प्रतिष वमिदं पा जंगम मावश्यकर्म गुणस्थानवी फतुंम् परीक्षयित्वा प्रतिए धमिदं ४५६ ४५६ प्रचर स्थावर ४५७ प्रभाव है घर-जंगम मचर-स्थावर अभिप्राय है तत्वं गहरा तत्वं ग्रहणं प्रवचनासर प्रवचनसार

Loading...

Page Navigation
1 ... 570 571 572 573