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तृतीय स्थान द्वितीय उद्देश
१२९ भवति। २१८- तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा- ण हणिस्सामीतेगे सुमणे भवति, ण हणिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, ण हणिस्सामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति।]
[पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष नहीं मारकर' सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'नहीं मारकर' दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष नहीं मारकर' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२१६)। पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष नहीं मारता हूं' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'नहीं मारता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष 'नहीं मारता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२१७)। पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष नहीं मारूंगा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'नहीं मारूंगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष नहीं मारूंगा' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२१८)।]
२१९-[तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा छिंदित्ता णामेगे सुमणे भवति, छिंदित्ता णामेगे दुम्मणे भवति, छिंदित्ता णामेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति। २२०- तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—छिंदामीतेगे सुमणे भवति, छिंदामीतेगे दुम्मणे भवति, छिंदामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति। २२१- तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा- छिंदिस्सामीतेगे सुमणे भवति, छिंदिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, छिंदिस्सामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति।]
[पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष छेदन करके सुमनस्क होता है। कोई पुरुष छेदन करके दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष छेदन करके न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२१९) । पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष 'मैं छेदन करता हूं' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'मैं छेदन करता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष 'मैं छेदन करता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२२०)। पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष 'मैं छेदन करूंगा' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'मैं छेदन करूंगा' इसलिए दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष 'मैं छेदन करूंगा' इसलिए न सुमनस्क होता है
और न दुर्मनस्क होता है (२२१)।] ___ २२२ - [तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा—अछिंदित्ता णामेगे सुमणे भवति, अछिंदित्ता णामेगे दुम्मणे भवति, अछिंदित्ता णामेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति। २२३ - तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा –ण छिंदामीतेगे सुमणे भवति, ण छिंदामीतेगे दुम्मणे भवति, ण छिंदामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति। २२४- तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा–ण छिंदिस्सामीतेगे सुमणे भवति, ण छिंदिस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, ण छिंदिस्सामीतेगे णोसुमणे-णोदुम्मणे भवति।]
[पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष 'छेदन नहीं कर' सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'छेदन नहीं कर' दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष छेदन नहीं कर' न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२२२) । पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष 'छेदन नहीं करता हूं' इसलिए सुमनस्क होता है। कोई पुरुष 'छेदन नहीं करता हूं' इसलिए दुर्मनस्क होता है तथा कोई पुरुष 'छेदन नहीं करता हूं' इसलिए न सुमनस्क होता है और न दुर्मनस्क होता है (२२३)। पुनः पुरुष तीन प्रकार के कहे गये हैं—कोई पुरुष 'नहीं छेदन करूंगा' इसलिए सुमनस्क